डुसेलडोर्फ, विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) अब धोखाधड़ी करने वाले खिलाड़ियों को पकड़ने के लिये ‘कृत्रिम बौद्धिकता’ का उपयोग करेगी। वाडा ने इसके लिए कनाडा और जर्मनी में चार परियोजनाओं में निवेश किया है जिनसे उसे यह पता करने में मदद मिल सकती है कि क्या प्रतिबंधित दवाईयों के सेवन के ऐसे मामलों को कृत्रिम बौद्धिकता से पकड़ा जा सकता है। इस तकनीक को लेकर हालांकि नैतिक मुद्दे भी जुड़े हुए हैं क्योंकि खिलाड़ियों को केवल मशीन के कहने पर ही निलंबित नहीं किया जा सकता है। इसके बजाय कृत्रिम बौद्धिकता ऐसा उपाय है जो संदिग्ध खिलाड़ियों की पहचान करने में मदद करेगा और यह तय करेगा कि इन खिलाड़ियों का परीक्षण किया जाना चाहिए या नहीं।कृत्रिम बौद्धिकता एक कम्प्यूटर विज्ञान है। यह आमतौर पर बौद्धिकता से जुड़े कार्यों को करने के लिए कंप्यूटर या कंप्यूटर नियंत्रित रोबोट है जो सभी आंकड़ों का आकलन करके किसी निर्णय पर पहुंचता है। वाडा के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक ओलिवर राबिन ने कहा, ‘‘जब आप डोपिंग रोधी संगठन के लिये काम कर रहे होते हो तो आप कुछ खिलाड़ियों को लक्ष्य लेकर चलते हो। आप उनके प्रतियोगिता कैलेंडर और उनके ठहरने के ठिकानों पर ध्यान रखते हो। आप उनके पिछले परिणामों को भी ध्यान में रखते हो।’’ कोरोना महामारी के कारण कई देशों में डोपिंग रोधी परीक्षण बंद है पर कृत्रिम बौद्धिकता चलन में आने पर डोपिंग के मामले पकड़ में आ जाएंगे।