मप्र में 5 से 10 हजार में दलाल बना रहे हैं नकली ई-पास

भोपाल, लोगों की सहूलियत के लिए शुरू किया गया ई-पास सिस्टम दलालों के लिए कमाई का जरिया बन गया है। नतीजतन जरूरतमंद के ई-पास के आवेदन को रिजेक्ट कर दिया जा रहा है और अपात्र से पैसा लेकर फर्जी पास बनाकर दिया जा रहा है। अगर सूत्रों के दावों की मानें तो प्रदेशभर में ई-पास बनाने के लिए करोड़ों रूपए का लेनदेन हुआ है। इससे सरकार की ई-पास व्यवस्था ध्वस्त हो गई है।
मुसीबत में फंसे परिवार के सदस्यों को लाने के लिए जारी किए जा रहे ई-पास में दलाली के मामले सामने आने के बाद भी शासन-प्रशासन मौन है। इसका फायदा अब आपराधिक प्रवृति के लोग भी उठाने लगे हैं। जो कि पास की मदद से अपने नाजायज धंधों को इसी आड़ में अंजाम दे रहे हैं। लेकिन ये विभाग की पकड़ से कोसों दूर है। हालात ये हैं कि एक तरफ दलालों द्वारा धड़ाधड़ा पास बनाए जा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ ऑन लाइन आवेदन करने वालों के आवेदन रिजेक्ट किए जा रहे हैं।
अक्सर हैंग हो रही वेबसाइट
अन्य जिलों या राज्यों में फंसे लोगों, मेडिकल इमरजेंसी अथवा मृत्यु की स्थिति में प्रशासन ई-पास बना रहा है। प्रदेश सरकार ने इसके लिए मैपआईटी नामक वेबसाइट लांच की है। आवेदकों को इसी वेबसाइट के माध्यम से आवेदन करना होता है। मैन्युअल प्रक्रिया पूरी तरह बंद है। चूंकि प्रदेशभर के लिए केवल एक ही वेबसाइट है, जबकि हजारों की तादाद में आवेदन किए जा रहे हैं। इससे लोड अधिक होने के कारण वेबसाइट अक्सर बंद रहने लगी है। रविवार को दोपहर तक वेबसाइट बंद थी। उसके बाद चालू हुई लेकिन बीच-बीच में सर्वर डाउन बना रहा। प्रशासन का कहना है कि यूआरएल बदलने के कारण यह समस्या आ रही है।
नकली पास का कारोबार जोरों पर
मुसीबत में फंसे लोगों की पीड़ा का फायदा उठाकर ई-पास के नाम पर दलाली और नकली ई-पास का कारोबार सामने आया है। 5 से 10 हजार रुपए में ई-पास दिलाने वाले गैंग सक्रिय हैं। ये गैंग जिला प्रशासन द्वारा जारी किए गए ई-पास को स्कैन करके फर्जी पास बना रहे हैं। इसकी पुष्टि ऐसे हुई कि चेक पोस्टों से प्रशासन के पास ई-पास रिजेक्शन की शिकायत पिछले दिनों बढ़ी हैं यानि ई-पास नकली है।
3 हजार से ज्यादा आवेदन लंबित
ई-पास के कितने आवेदन लंबित हैं, जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी सही आंकड़ा जारी नहीं कर रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि करीब 3 हजार आवेदन लंबित हैं। जबकि हर रोज करीब पांच सैकड़ा लोग आवेदन कर रहे हैं।
बिना बैकग्राउंड देखे बन रहे पास
ई-पास सिस्टम का फायदा अब आपराधिक प्रवृति के लोग उठाने लगे हैं। हालात ये हैं कि धड़ाधड़ा पास तो बनाए जा रहे हैं, मगर इन्हें क्रॉस चेक नहीं किया जा रहा। जिनके दस्तावेज और रीजन को वहीं चेक किया जाता है, जबकि उसे मौके पर जाकर कभी जांचा नहीं गया।

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