विश्वास मत हासिल करने तैयार, पहले आएं बेंगलुरु में बंधक विधायक

भोपाल,मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आज राज्यपाल लालजी टंडन द्वारा उन्हें कल तक बहुमत साबित करने का पत्र भेजे जाने के बाद उनसे भेंट की उसके पहले उन्हें 6 पृष्ठ का एक पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने पूर्व में लिखे गए पत्रों का हवाला देते हुए लिखा है कि कांग्रेस विधायकों को बेंगलुरु में बंधक बनाकर रखा गया है। विधायकों को कर्नाटक पुलिस का संरक्षण में रखा गया है। उनसे कोई संपर्क नहीं हो रहा है। ऐसी स्थिति में जब तक बेंगलुरु से विधायक मध्यप्रदेश वापस नहीं आते हैं। तब तक फ्लोर टेस्ट का कोई औचित्य नहीं होगा। मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को लिखे पत्र में संवैधानिक शक्तियों, विधानसभा अध्यक्ष के अधिकार और सरकार के अधिकारों को वर्णित करते हुए विभिन्न मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसलों का भी हवाला दिया है। मुख्यमंत्री ने फ्लोर टेस्ट के पूर्व बेंगलुरु में कर्नाटक पुलिस के नियंत्रण से कांग्रेस के विधायकों को मुक्त कराकर मध्य प्रदेश लाने और उसके बाद फ्लोर टेस्ट कराने की बात कही है।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी राजभवन पहुंचे। वहां पर उन्होंने राज्यपाल से मुलाकात कर वर्तमान स्थितियों पर चर्चा करते हुए विधायकों को वापस लाने का अनुरोध किया है। राज्यपाल से मिलकर दिग्विजय सिंह ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि वह सौजन्य भेंट के लिए महामहिम के पास आए थे।
इसबीच मुख्यमंत्री कमलनाथ को 17 मार्च को फ्लोर टेस्ट का निर्देश देने संबंधी पत्र पर विवाद उत्पन्न हो गया है। संवैधानिक विशेषज्ञों का कहना है कि नियमानुसार स्थगित सदन को फिर से आहूत करने के लिए कम से कम 3 दिन का समय दिया जाना चाहिए। विशेषज्ञों का मानना है कि मध्यप्रदेश के राज्यपाल ने विश्वास मत के लिए विधायकों को पर्याप्त समय नहीं दिया, इस तरह उनका पत्र विवादास्पद हो सकता है और उसे कानूनी तौर पर चुनौती दी जा सकती है।
230 विधायकों के सदन में दो विधायकों की मृत्यु हो जाने और 6 विधायकों का इस्तीफा स्वीकार हो जाने के कारण प्रभावी संख्या 222 बची है, जिसमें बहुमत का आंकड़ा 112 है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी ने 106 विधायकों की परेड राज्यपाल के समक्ष करायी है ऐसे में उसके पास भी बहुमत का आंकड़ा नहीं है।
ज्ञात रहे कि मध्यप्रदेश में कोरोनावायरस के चलते राज्यपाल के अभिभाषण के बाद विधानसभा को आगामी 26 मार्च तक स्थगित करने के फैसले पर नाराजगी जताते हुए राज्यपाल ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को लिखे पत्र में कहा है कि यदि 17 मार्च को विश्वास मत के लिए फ्लोर टेस्ट नहीं किया गया तो यह माना जाएगा कि सरकार ने बहुमत खो दिया है। इस पत्र से यह आभास हो रहा है कि मंगलवार को सदन में विश्वासमत नहीं लिया गया तो राज्यपाल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुशंसा भी कर सकते हैं। पत्र की भाषा को एक तरह से मौजूदा सरकार के लिए चुनौती ही माना जा रहा है। सवाल यह है कि क्या राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र को सरकार न्यायालय में चुनौती देगी?

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