लखनऊ,हाईकोर्ट ने समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम के फर्जी जन्म प्रमाण-पत्र मामले में मुकदमा रद्द करने से इनकार कर दिया है। बता दें कि फर्जी प्रमाणपत्र मामले में रामपुर जिला अदालत में मुकदमा चल रहा है। इस याचिका में मांग की गई थी कि मुकदमे और चार्जशीट को रद्द कर दिया जाए लेकिन कोर्ट ने इस बात को सिरे से खारिज कर दिया। कोर्ट ने इस मामले में कहा कि किसी भी व्यक्ति को अपराध की प्राथमिकी दर्ज कराने का अधिकार है। यदि चार्जशीट में प्रथम दृष्टया अपराधिक केस बनता है तो आरोप के साक्ष्यों के आधार पर मुकदमे के संदर्भ में विचार किया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया अपराध कार्य हो रहा है तो अदालत हस्तक्षेप नहीं कर सकती। यह आदेश जस्टिस मंजू रानी चौहान की एकल पीठ ने दिया है। बता दें कि धोखाधड़ी के आरोप में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता आकाश सक्सेना ने गंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई है। अब्दुल्ला के निर्वाचन पर दी गई अर्जी में बहुजन समाज पार्टी के नेता काजिम अली ने कहा था कि वर्ष 2017 में चुनाव के वक्त आजम खान के बेटे न्यूनतम निर्धारित उम्र 25 वर्ष के नहीं थे। चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने फर्जी डॉक्युमेंट्स दाखिल किए थे और झूठा हलफनामा दाखिल किया था। दायर की गई याचिका में अब्दुल्ला आजम की 10वीं क्लास की मार्कशीट के साथ कई अहम दस्तावेजों में दर्ज जन्मतिथि को आधार बनाया गया था। हालांकि, पूरे मामले को लेकर अब्दुल्ला आजम ने कहा कि प्राइमरी में ऐडमिशन के वक्त टीचर ने अंदाज से जन्मतिथि दर्ज की थी। अब्दुल्ला आजम के हाई स्कूल से परास्नातक डिग्रियों में जन्मतिथि 1 जनवरी 1993 दर्ज है। यही तिथि पैन कार्ड, पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस में भी है। सांसद आजम खान की पत्नी तंजीन फातिमा ने कोर्ट को बताया था कि अब्दुल्ला का जन्म लखनऊ में हुआ था। वह सरकारी नौकरी में थीं।