मध्यप्रदेश में रेत की चोरी रोकने अब एक जिले में होगा एक ही ठेकेदार

भोपाल,राज्य सरकार रेत उत्खनन के लिए प्रत्येक जिले में एक ठेकेदार को ठेका देने की तैयारी कर रही है। इस बारे में निर्णय आगामी दो-तीन दिन में लिया जा सकता है। स्टेट माइनिंग कॉर्पोरेशन ने खुली निविदा (टेंडर) जारी करने की तैयारी पूरी कर ली है। सरकार स्तर से जिले में एक ठेकेदार को काम देना है या ज्यादा को, यह तय होने के बाद 10 सितंबर तक टेंडर प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। राज्य सरकार ने एक साल पुरानी रेत नीति में संशोधन कर दो दिन पहले जारी कर दी है। नीति के मुताबिक अब पंचायतों के समूह बनाकर रेत खदानें नीलाम की जाएंगी, लेकिन सरकार एक जिले में एक ठेकेदार को काम देने पर भी विचार कर रही है। सूत्र बताते हैं कि शीर्ष स्तर पर इस पर सहमति बन चुकी है। अब घोषणा शेष है, जो अगले दो दिन में हो सकती है। जानकार बताते हैं कि ऐसा रेत चोरी रोकने के लिए किया जा सकता है। एक ठेकेदार होगा तो दूसरा कोई चोरी नहीं कर सकेगा। इस पर फैसला होते ही सरकार खदानों की नीलामी शुरू कर देगी। कॉर्पोरेशन ने खुली निविदा जारी करने की तैयारी कर ली है। अक्टूबर के पहले हफ्ते तक टेंडर प्रक्रिया पूरी होने की संभावना है। इसमें देशभर के ठेकेदार हिस्सा ले सकेंगे। ज्यादा बोली लगाने वाली बाहरी कंपनियों या ठेकेदारों को भी खदानें मिल सकती हैं।
कॉर्पोरेशन टेंडर एक साथ बुलाएगा, लेकिन खदानों के ठेके किस्तों में दिए जाएंगे। ज्ञात हो कि कॉर्पोरेशन ने 200 से ज्यादा पंचायत समूह बनाए हैं। यदि जिले में एक ठेका देने का निर्णय नहीं हुआ तो इतने ही टेंडर जारी होंगे, वरना जितने जिले, उतने टेंडर। जानकार बताते हैं कि सरकार जिले में एक कंपनी या व्यक्ति को ठेका देती है तो छोटे ठेकेदारों को नुकसान होगा। इतना ही नहीं, संबंधित कंपनी या व्यक्ति की मोनोपॉली शुरू हो जाएगी। जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार में दिक्कत से लेकर आम जनता को महंगी रेत खरीदनी पड़ सकती है। खनिज विकास निगम ने मध्य प्रदेश में करीब 1400 रेत खदानें चिन्हित की हैं। इनमें से करीब आठ सौ खदानें पहले से स्वीकृत हैं। उनमें से भी 600 खदानों से रेत निकाली जा रही है। टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद नए ठेकेदार इन 600 खदानों के मंजूरी दस्तावेजों को ट्रांसफर करवाकर उत्खनन शुरू कर सकेंगे। जबकि नई खदानों से उत्खनन शुरू करने में पांच से छह माह का समय लगेगा, क्योंकि खदान आवंटित होने के बाद ठेकेदार को पर्यावरण मंजूरी सहित अन्य कागजी कार्यवाही पूरी करनी पड़ेगी। इसमें कॉर्पोरेशन न सिर्फ ठेकेदार का मार्गदर्शन करेगा, बल्कि मंजूरी दिलवाने में सहयोग भी देगा।

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