गैंगस्टर विजय और समीर की मौत पर अलर्ट, मनोचा हत्याकांड से गैंग ने बढ़ाया था रसूख

जबलपुर,नरसिंहपुर पुलिस द्वारा मारे गए कुख्यात गैंगस्टर विजय यादव पर विभिन्न थाना क्षेत्रों में 18 मामले दर्ज थे। वहीं समीर खान पर करीब 20 मामले दर्ज थे। पुलिस ने बताया कि मुठभेड़ में मारे गये विजय यादव पिता बच्चू यादव उम्र ३६ साल के खिलाफ जबलपुर के थाना गोरखपुर, कोतवाली, गोहलपुर एवं गढ़ा मे कुल 18 अपराध पंजीबद्ध थे। हत्या, हत्या का प्रयास, लूट, डकैती, अवैध वसूली, बलवा एवं विस्फोटक अधिनियम के मामले विजय पर दर्ज थे। पुलिस ने विजय की गिरफ्तारी पर 30 हजार रुपए का ईनाम भी घोषित किया था।
पुलिस मुठभेड़ में मारे गए पसियाना निवासी समीर पिता कल्लूू पहलवान उम्र 25 साल के खिलाफ हनुमान ताल थाने में कुल 20 दर्ज थे। हत्या, प्रयास का हत्या, विस्फोटक अधिनियम, मारपीट गुंडागर्दी के साथ कई मामले समीर पर दर्ज थे। वर्ष २०१६ में कोर्ट में पेशी के दौरान समीर फरार हो गया था। पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी पर 15 हजार रुपए का ईनाम घोषित किया था। फरारी के दौरान समीर ने वर्ष 2017 में हत्या की वारदात को अंजमा दिया था।
दोनों ओर से 10 से 16 राउण्ड हुई फायरिंग
नरसिंहपुर पुलिस ने पीछा कर बदमाशों के वाहन को रोका। इसी दौरान बदमाशों ने फायरिंग शुरू कर दी। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेश तिवारी के मुताबिक बदमाशों की ओर से करीब 10 से 12 राउंड तथा पुलिस टीम द्वारा 15 से 16 राउंड फायरिंग हुई। पुलिस अधीक्षक गुरकरण सिंह ने बताया कि मुठभेड़ में घायल बदमाशों को अस्पताल पहुंचाया गया। जहां डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। मुठभेड़ में टीम के २-३ सदस्य मामूली रूप से घायल हुए है।
विजय यादव के घर के पास लगी भीड़
पुलिस मुठभेड़ में मारे गए गैंगस्टर विजय यादव की मौत की खबर पूरे शहर में आग की तरह पैâल गई। सोमवार सुबह से ही लोग विजय के गोरखपुर स्थित आवास के आस-पास जमा हो गए। भीड़ जमा होने की खबर लगते ही गोरखुर थाने का बल और क्राइम ब्रांच की टीम मौके पर पहुंच गई।
परिजन ने लगाया फर्जी एनकाउंटर का आरोप
विजय यादव और समीर खान के परिजन मौत की खबर लगने के बाद नरसिंहपुर रवाना हो गए थे। पीएम के बाद दोनों के शव परिजनों को सौंप दिए गए हैं। दोनों अपराधियों के अंतिम संस्कार तक पुलिस को अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए हैं। दोनों परिवार के लोगों ने फर्जी एनकाउंटर करने का आरोप लगाया हैै। आरोपों के बाद नरसिंहपुर कलेक्टर ने मजिस्ट्रेट जांच के निर्देश दिए हैं।
मनोचा हत्याकांड से बढ़ा रसूख
गैंगस्टर विजय यादव एवं उसके भाई रतन यादव ने अपने साथियों के साथ मिलकर 27 नवंबर 2011 की रात गोरखपुर व्यापारी संघ के अध्यक्ष दीपक उर्फ बिट्टू मनोचा की रामपुर आदर्श नगर के पास गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस हत्याकांड में विजय एवं रतन के अलावा शैंकी मिश्रा, दशरथ पटेल, विपिन नामदेव, हरि मनवानी उर्फ बिक्की, प्रशांत सबलोक, कपिल चौकसे, मनीष पटेल, आशिफ मामू, वीरेन्द्र यादव, देवेन्द्र पटेल, ओमप्रकाश यादव को आरोपी बनाया गया था। फिलहाल विजय का भाई रतन जेल में बंद है।
पहले भी हुए एनकाउंटर
गोरखुर थाना प्रभारी राजेश तिवारी के नेतृत्व में बदमाश नेतराम पटेल का एनकाउंटर किया गया था। वहीं १९९४-९५ में बेलबाग थाना प्रभारी एचएन गुरू की टीम ने कुख्यात बदमाश गोस का एनकाउंटर किया था।
आतंकियों का हुआ था एनकाउंटर
26 सितंबर 1994 को तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री अर्जुन सिंह, माधव राव सिंधिया, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जबलपुर प्रवास पर थे। रादुविवि में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे दिग्गजों को लेकर पुलिस के चाक चौबंद इंतजाम किए गए थे। पुलिस को चप्पे-चप्पे पर तैनात किया गया था। इसी दौरान तीन आतंकी गुरमेल सिंह, पाल सिंह और बिट्टा सिंह शहर में मौजूद थे। कृपाल चौक के पास पुलिस को देख आतंकी घबरा गए। तीनों ने वहां मौजूद इंस्पेक्टर संदीप व्यास और आरएस पाण्डे पर हमला कर दिया। दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। इसकी खबर लगते ही पूरा पुलिस महकमा सकते में आ गया। पुलिस ने आतंकियों को मदनमहल पहाड़ी पर घेर लिया। पुलिस एनकाउंटर में गुरमेल सिंह और पाल सिंह की मौत हो गई, जबकि बिट्टा सिंह मौके से भागने में कामयाब हो गया। बाद में बिट्टा सिंह को इंदौर पुलिस ने एसपी रुस्तम सिंह के निर्देशन में एनकाउंटर में मार गिराया था। इस मामले की जांच गोरखपुर थाना प्रभारी सीएस परस्ते को हटाकर अनिल वैद्य को सौंपी गई थी।

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