गर्भावस्था के समय अधिक हल्दी खाने से बचना चाहिए, इससे रहता है गर्भपात का खतरा

नई दिल्ली,सेहत से जुड़े कई फायदों की वजह से बड़ी संख्या में लोग हल्दी को कैप्सूल और सप्लिमेंट के तौर पर भी लेने लगे हैं। चूंकि हल्दी, हेल्थ के लिए फायदेमंद है लिहाजा ज्यादातर लोगों को यही लगता है कि हल्दी सभी के लिए फायदेमंद है। लेकिन अगर आप भी ऐसे सोचते हैं तो आप गलत हैं क्योंकि हल्दी गर्भवती महिलाओं के लिए सही नहीं मानी जाती। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन, प्रेग्नेंट महिलाओं में कई तरह की समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। एक्सपर्ट्स की मानें तो बेहद कम मात्रा में अगर खाने के दौरान हल्दी का सेवन किया जाए तो यह पूरी तरह से सुरक्षित है। लेकिन प्रेग्नेंसी के दौरान अगर कोई महिला हल्दी वाले सप्लिमेंट्स और कैप्सूल का इस्तेमाल करती है तो करक्यूमिन की अधिक मात्रा की वजह से प्रेग्नेंसी से जुड़ी कई कॉम्प्लिकेशन्स का सामना करना पड़ सकता है।
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि करक्यूमिन शरीर में एस्ट्रोजेन हॉर्मोन की नकल करता है जिससे मेन्स्ट्रूअल क्रैम्प्स और यूटेराइन कॉन्ट्रैक्शन्स बढ़ जाता है जिससे प्रीमच्योर बर्थ और मिसकैरेज का खतरा रहता है। इसके अलावा हल्दी की अधिक मात्रा खून को पतला और ऐसिड ब्लॉक करने वाली दवाइयों के काम में दखलअंदाजी भी कर सकती है। हो सकता है कि आप कई दूसरे खाद्य पदार्थों की ही तरह हल्दी के प्रति भी सेसेंटिव हों। अगर हल्दी का सेवन करने के बाद आपको सिरदर्द या शरीर पर किसी तरह का रैशेज नजर आए तो इसका मतलब है कि हल्दी का सेवन आपके लिए ठीक नहीं है। ऐसे में प्रेग्नेंसी के दौरान हल्दी और करक्यूमिन कैप्सूल का सेवन बंद कर दें। बता दें कि हल्दी न सिर्फ खाने का रंग और स्वाद बढ़ाती है बल्कि ऐंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर हल्दी में कई औषधीय गुण भी हैं। हल्दी न सिर्फ इम्यूनिटी को बढ़ाती है बल्कि जोड़ों का दर्द, पाचन से जुड़ी दिक्कतें, बढ़ा हुआ कलेस्ट्रॉल, सिरदर्द, कैंसर, सर्दी-जुकाम और डायबीटीज को भी रोकने में मदद करती है।

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