जेल का निरीक्षण करने पहुंचे कलेक्टर से बच्ची ने बड़े स्कूल में पढ़ने की इच्छा जताई तो इंटरनेशनल स्कूल में हुआ एडमिशन

बिलासपुर, छोटी सी खुशी(बदला हुआ नाम) जेल की बड़ी-बड़ी दीवारों के बाहर खेलना चाहती है। जेल में लगे बड़े दरवाजे से कहीं बहुत बड़े उसके सपने हैं। जेल की सलाखें के बीच से झांकने पर उसे दोस्त नहीं बल्कि सामने की बैरक की सलाखें ही नजर आती हैं। खुशी महज छह साल की है। खुशी खुश ही रहती है क्योंकि उसे अतीत पता नहीं है। वह जब पंद्रह दिन की थी तभी उसकी मां की पीलिया से मौत हो गयी थी। पिता एक अपराध के लिये जेल में सजायफ्ता कैदी है। पांच साल की सजा काट ली है अभी पांच साल और जेल में रहना है। पालन-पोषण के लिये घर में कोई नहीं था इसलिये खुशी को भी जेल में पिता के पास ही रहना पड़ रहा था। जब वह बड़ी होने लगी तो उसकी परवरिश का जिम्मा महिला कैदी को दे दिया गया। वह जेल के अंदर ही संचालित प्ले स्कूल में पढ़ती है। लेकिन खुशी जेल की आवोहवा से आजाद होना चाहती है। अपने जैसे बाकी बच्चों के साथ खेलने का मन करता है। उसका सपना है कि वह जेल के बाहर किसी बड़े स्कूल में पढ़े। संयोग से खुशी के जीवन में आज वो पल आ गया। दरअसल कलेक्टर डॉ संजय अलंग आज केंद्रीय जेल बिलासपुर के निरीक्षण के लिये पहुंचे। वे निरीक्षण करते हुये महिला सेल में पहुंचे तभी उनकी नजर महिला कैदियों के पास बैठी खुशी पर पड़ी। डॉ अलंग ने खुशी से पढ़ाई के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वह बाहर पढ?ा चाहती है। यहां उसका मन नहीं लगता है। खुशी की बात सुनकर कलेक्टर भावुक हो गये और उन्होंने तत्काल उससे वादा किया कि वे उसका शहर के किसी बड़े स्कूल में एडमिशन कराएंगे। इसके साथ ही वह स्कूल के ही हॉस्टल में रहेगी जहां उसके लिये तमाम सुविधाएं मौजूद रहेंगी। डॉ अलंग ने तत्काल शहर के स्कूल संचालकों से बात की और जैन इंटरनेशनल स्कूल के संचालक खुशी को एडमिशन देने तैयार हो गये। लायंस क्लब भी खुशी के एडमिशन में सहयोग करने आगे आया है। जेल में सजा काट रहे खुशी के पिता भी खुशी को हॉस्टल में रहकर बड़े स्कूल में दाखिला दिलाने के लिये राजी हैं। इस संबंध में कलेक्टर ने जेल प्रशासन, महिला बाल विकास विभाग और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को तमाम औपचारिकताएं पूरी करने के निर्देश दिये हैं । कलेक्टर की पहल पर जैन इंटरनेशनल स्कूल एडमिशन प्रभारी ने जेल प्रशासन से सम्पर्क किया और खुशी का पहली क्लास में एडमिशन के लिये प्रक्रिया शुरु कर दी। उन्होंने बताया कि १७ जून से स्कूल खुलते ही खुशी स्कूल के हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करेगी। खुशी के लिये विशेष तौर केयर टेकर का भी इंतजाम किया जाएगा। कलेक्टर ने खुशी जैसे और भी बच्चों के लिये समाज के लोगों से आगे आने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा है कि माता या पिता की सजा के साथ बच्चों को मजबूरी में जेल में रहना पड़ता है। सामाजिक संस्थाएं यदि ऐसे बच्चों की मदद के लिये आगे आएं तो बच्चों का भविष्य संवारा जा सकता है।

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