20 साल बाद सिंधिया राजघराने को करना पड़ा हार का सामना, गुना सीट के केपी यादव अब नए बादशाह

अशोकनगर,गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र को ग्वालियर के सिंधिया राजघराने का गढ़ माना जाता है, क्योंकि अब तक हुए उपचुनाव सहित 20 चुनाव में सिंधिया राजघराने के प्रतिनिधियों को 14 बार जीत मिली। ज्योतिरादित्य की दादी विजयराजे सिंधिया छह बार, पिता माधवराव सिंधिया चार बार और स्वयं ज्योतिरादित्य सिंधिया चार बार जीते हैं।
सिंधिया का गढ़ मानी जाने वाली इस सीट पर उन्ही के प्रतिनिधि ने पटकनी खिला दी। गुरुवार को घोषित हुए लोकसभा चुनाव परिणामों में कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को भाजपा के डॉ. केपी यादव ने एक लाख से अधिक वोट से हराकर गुना संसदीय सीट पर अपना कब्जा जमा लिया है। खास बात यह है कि डॉ. केपी यादव की इस जीत में संसदीय क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले तीनों जिलों में अशोकनगर जिले का सबसे अधिक योगदान रहा और अकेल अशोकनगर जिले से उनकी बढ़त करीब 49 हजार मतों से रही। उल्लेखनीय है कि प्रदेश की 29 सीटों में से कांग्रेस को महज 1 सीट ही मिल पाईं हैं। नेहरू महाविद्यालय में प्रात: 8 बजे से आरंभ हुई लोकसभा चुनावों की मतगणना के शुरुआती दौर से ही भाजपा कार्यकर्ताओं के चेहरों पर मुस्कराहट देखी गई। मतगणना आरंभ होने के साथ ही ज्योतिरादित्य सिंधिया पिछडते हुये नजर आये हालांकि मामूली अंतर से जीत-हार का अंतर चल रहा था और कांग्रेस नेताओं को आशंका थी कि यह अंतर ज्यादा देर तक नहीं चलेगा। लेकिन मतगणना के अंतिम दौर तक जिले की तीनों विधानसभाओं से कांग्रेस पीछे ही चलती रही अंतत: जिले से हारना ही पड़ा और मतदाताओं ने भाजपा प्रत्याशी डॉ. केपी यादव को विजय दिला दी। गुना लोकसभा के सभी विधानसभा क्षेत्रों के परिणामों के आधार पर ज्योतिरादित्य सिंधिया को 458768 मत प्राप्त हुए, वहीं भाजपा प्रत्याशी केपी यादव ने 584850 मत पाकर 1 लाख 60 हजार 82 मतों से जीत दर्ज की।
ऐसी चली चरणबद्ध मतगणना:लोकसभा चुनावों के घोषित परिणामों में जिले की तीनों विधानसभा क्षेत्रों से ज्योतिरादित्य सिंधिया को पराजय का सामना करना पड़ा और भारतीय जनता पार्टी के डॉ. केपी यादव को गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र से विजय दिलाने में जिले के मतदाताओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। तीनों विधानसभाओं से कांग्रेस प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 48 हजार 5 सौ 34 मतों से विजय प्राप्त की। भाजपा प्रत्याशी डॉ. केपी यादव को इस जीत का सेहरा पहनाने में मुंगावली विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने सिंधिया को दिये मतों की अपेक्षा 15 हजार 6 सौ 34 मत अधिक दिये। वहीं अशोकनगर विधानसभा में 21 हजार 2 सौ और चन्देरी में 11 हजार 7 सौ मतों से भाजपा प्रत्याशी ने अपनी बढ़त बनाई।
यहाँ गुना लोकसभा सीट पर पहला लोकसभा चुनाव 1957 में हुआ था। जिसमें ग्वालियर रियासत की राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए जीत हासिल की थी। 1967 में राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने स्वतंत्र पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीतीं। 1971 में इस सीट से माधवराव सिंधिया ने जनसंघ के टिकट से चुनाव लडऩे का फैसला किया और जीत हासिल की। इसके बाद 1977 उन्होंने निर्दलीय चुनाव लडऩे का फैसला लिया और जीत का परचम लहराया। 1980 में माधवराव सिंधिया ने कांग्रेस की टिकट से चुनाव लड़ा और जीता भी, लेकिन इसके चलते परिवार में विवादों के बादल छा गए और मां-बेटे दोनों विरोधी पार्टी में शामिल हो गए। 1989 में राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने बीजेपी की टिकट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। जिसके बाद 1999 के चुनाव में बेटे माधवराव सिंधिया ने जीत हासिल की। 2001 में माधवराव की एक प्लेन हादसे में मौत होने के बाद उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उनका कार्यभार संभाला और 2002 में उपचुनाव में जीत हासिल की। जिसके बाद 2009 और 2014 में उन्होंने लगातार गुना लोकसभा सीट से जीत हासिल की। ज्योतिरादित्य सिंधिया का यह पांचवां चुनाव था। इससे पहले वे चार चुनाव में यहां से लगातार जीत दर्ज कर चुके है।

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