इन्दौर, मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इन्दौर से भाजपा के शंकर लालवानी ने रिकार्ड जीत दर्ज की है। उन्होंने इन्दौर से 8 बार सांसद रहीं सुमित्रा महाजन को 2014 में मिली 466901 मतों की जीत के रिकार्ड को तोड़ते हुए अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के पंकज संघवी को 547754 मतों से हराया है। भाजपा प्रत्याशी लालवानी को कुल 1068569 मत मिले, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी पंकज संघवी को 520815 मत मिले। कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी लोकेश कुमार जाटव ने विजयी प्रत्याशी शंकर लालवानी को सांसद निर्वाचित होने का प्रमाण पत्र दिया। इस मौके पर सुमित्रा महाजन व विधायक रमेश मैंदोला भी मौजूद थे।
उल्लेखनीय है कि इन्दौर से 8 बार सांसद रहीं सुमित्रा महाजन को इस भाजपा ने टिकट नहीं दिया था। उनकी जगह ललवानी को पार्टी ने मैदान में उतारा था। हालांकि सुमित्रा महाजन इस सीट पर फिर से चुनाव लड़ने की इच्छुक थीं, लेकिन पार्टी की ओर से उम्मीदवार के नाम के ऐलान में देरी होते देख उन्होंने खुद ही यह ऐलान कर दिया था कि वह इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी।
इस सीट पर पिछले मुकाबलों की बात करें तो लगातार 8 बार बीजेपी की तरफ से सुमित्रा महाजन कुर्सी पर काबिज रहीं। वहीं, कांग्रेस आखिरी बार 1984 में यहां से लोकसभा का चुनाव जीती थी। 2014 के चुनाव में भाजपा की सुमित्रा महाजन को 854972, कांग्रेस के सत्यनारायण पटेल को 388071 व आम आदमी पार्टी के अनिल त्रिवेदी को 35124 मत मिले थे। इस बार 2019 के लोकसभा चुनाव में इन्दौर सीट पर 20 प्रत्याशी चुनावी मैदान होकर मुख्य मुकाबला कांग्रेस के पंकज संघवी और भाजपा के शंकर लालवानी के मध्य था और लालवानी ने यह मुकाबला 547754 मतों के रिकार्ड अंतर से जीत लिया है।
यह भी उल्लेखनीय है कि भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी ने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ते हुए बड़ी जीत दर्ज की है। लालवानी ने 1993 में पहली बार विधानसभा क्षेत्र-4 से भाजपा अध्यक्ष का कार्यभार संभाला था। इसके बाद 1996 में नगर निगम चुनाव में वे अपने भाई और कांग्रेस प्रत्याशी प्रकाश लालवानी को हराकर पार्षद बने। वे नगर निगम सभापति भी रहे। इसके बाद वे नगर अध्यक्ष रहे। वे इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष भी रहे।
1998 में भाजपा की सुमित्रा महाजन से लोकसभा चुनाव हार चुके पकंज संघवी पर कांग्रेस ने एक बार फिर से भरोसा जताया, लेकिन उन्हें दूसरी बार भी हार का मुंह देखना पड़ा। संघवी 1983 में पहली बार पार्षद का चुनाव जीते। इसके बाद 1998 में पार्टी ने लोकसभा चुनाव का टिकट दिया, लेकिन सुमित्रा महाजन ने उन्हें 49 हजार 852 वोट से चुनाव हार दिया। इसके बाद 2009 में महापौर का चुनाव लड़े और भाजपा के कृष्णमुरारी मोघे से करीब 4 हजार वोट से हार गए। 2013 में वे इंदौर विधानसभा पांच नंबर सीट से करीब 12 हजार 500 वोट से विधानसभा चुनाव हारे।
इंदौर को 30 साल बाद पुरुष सांसद मिला
इन्दौर लोकसभा सीट से 1952 में कांग्रेस के नन्दलाल जोशी, 1957 में कांग्रेस के कन्हैयालाल खेड़ीवाला, 1962 में सीपीआई के होमी दाजी, 1967 में कांग्रेस के प्रकाशचंद्र सेठी, 1971 में कांग्रेस के रामसिंह भाई, 1977 में भारतीय लोकदल के कल्याण जैन, 1980 और 1984 में कांग्रेस के प्रकाशचन्द्र सेठी ने दो बार जीत हासिल की। इसके बाद सुमित्रा महाजन ने 1989 के आम चुनाव में पहली बार लोकसभा चुनाव में भाग लिया और उन्होंने कांग्रेस नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र सेठी को हराया। फिर भाजपा के टिकट पर सुमित्रा ताई ने 1991, 1996, 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 में जीत दर्ज की। वो प्रथम महिला हैं जो कभी लोकसभा चुनावों में पराजित नहीं हुई और आठ बार लोकसभा चुनाव जीतने वाली प्रथम महिला बनी। लालवानी के जीत से अब इन्दौर को 30 साल बाद पुरुष सांसद मिला है।
जीत का विश्वास तो था, पर इतनी बड़ी जीत की कल्पना नहीं थी : लालवानी
अपनी जीत पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शंकर ललवानी ने कहा – जीत का विश्वास तो था, पर इतनी बड़ी जीत की कल्पना नहीं थी। जनता ने इतनी बड़ी जीत दी है, तो मेरे ऊपर शहर की जनता का भार भी काफी रहेगा। बीआरटीएस के विकल्प के रूप में एलिवेटेड ब्रिज होगा, जो शहर की समस्या दूर होगी। ट्रैफिक सुधार और शहर के विकास के लिए ब्लू प्रिंट तैयार करेंगे। लालवानी ने जीत का श्रेय सबसे पहले नरेंद्र मोदी और अपनी पार्टी को दिया। अपने प्रतिद्वंदी पंकज संघवी को लेकर कहा कि वे टूरिस्ट वीजा लेकर चुनाव के मैदान में आते रहे हैं, जबकि उन्हें लगातार सक्रिय रहकर समाज की सेवा करना चाहिए। जनता के बीच रहना चाहिए, जो उन्होंने नहीं किया और इसके परिणाम सामने हैं।