नई दिल्ली,लोकसभा 2019 के चुनाव परिणामों के पहले जिस तरह की अटकलें और जोड़ तोड़ शुरू हो गई हैं। उसको लेकर राजधानी दिल्ली राजनीतिक हलचलें बड़ी तेज हो गई हैं। आरोप-प्रत्यारोप के दौर भी शुरू हो गए हैं। विपक्षी दलों का मानना है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सबसे बड़े गठबंधन के रूप में नरेंद्र मोदी को पुनः प्रधानमंत्री पद की शपथ दिला देंगे। जिससे मोदी को जोड़-तोड़ का अवसर मिलेगा।विपक्षी दलों का मानना है, कि यूपीए गठबंधन एवं अन्य राजनीतिक दलों को, जो एनडीए और यूपीए का हिस्सा नहीं है। उनका बहुमत एनडीए गठबंधन से ज्यादा सीटें लेकर चुनाव जीत रहा है। क्षेत्रीय दलों के क्षत्रप प्रधानमंत्री मोदी और उनके सिपहसालार अमित शाह से काफी नाराज हैं। विस्तार वादी नीति के कारण इन्होंने क्षेत्रीय दलों को समाप्त करने के हर संभव प्रयास पिछले वर्षों में किए हैं। क्षेत्रीय दल अब यूपीए गठबंधन के साथ जुड़कर गैर भाजपाई सरकार बनाने के लिए एकजुट हो रहे हैं।
राजनीतिक हलकों में यह कहा जा रहा है, कि राष्ट्रपति सचिवालय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने वफादार अधिकारियों को तैनात कर रखा है। जो उन्हें पल पल की खबरें प्रधानमंत्री को देते हैं।राष्ट्रपति सचिवालय के निर्णय भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इशारे पर ही लिए जाते हैं।
इस स्थिति को देखते हुए विपक्षी दल ऐसी कोई गलती नहीं करना चाहते, जिससे वह सत्ता में काबिज होने से चूक जाएं। विपक्षी दलों ने मतगणना के पूर्व चुनाव आयोग,राष्ट्रपति कार्यालय तथा न्यायालय कार्रवाई करने के लिए पूर्व में ही तैयारियां शुरू कर दी हैं,ताकि गोवा जैसी पुनरावृत्ति केंद्र में ना हो सके।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पहली बार वेकेशन कोर्ट की अध्यक्षता कर रहे हैं। 25 मई से 30 मई के बीच सुप्रीम कोर्ट की जो बेंच कार्यरत होगी, उसमें रंजन गोगाई भी मुख्य न्यायाधीश के रूप में मौजूद होंगे। एग्जिट पोल के बाद माहौल और गर्मा गया है। इस बार दोनों ओर से लड़ाई पूरी ताकत से लड़ी जा रही है। सब अपने अपने अस्त्र-शस्त्र का उपयोग करने में कोई कोताही नहीं बरत रहे है।