तेजबहादुर की वाराणसी से उम्मीदवारी रद्द, पीएम मोदी के विरुद्ध सपा ने बनाया था प्रत्याशी

वाराणसी,समाजवादी पार्टी ने अंतिम समय में वाराणसी लोकसभा सीट से अपना प्रत्याशी बदल दिया था। शालिनी यादव की जगह बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेजबहादुर को सपा-बसपा ने प्रधानमंत्री मोदी के सामने चुनौती पेश करने के लिए उतारा था। लेकिन, अब उनकी उम्मीदवारी रद्द हो गई है। 2017 में बीएसएफ के जवान तेजबहादुर यादव का सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें उन्होंने जवानों को मिलने वाले खराब खाने के बारे में बताया था। वीडियो में तेजबहादुर यादव ने खाने की गुणवत्ता पर सवाल खड़े किए थे। वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और बीएसएफ से मामले की विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी।
इस बीच तेजबहादुर ने वीआरएस के लिए अप्लाई किया था, जिसे स्वीकार नहीं किया गया। बल्कि उन्हें निर्देश दिया गया कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, वे बीएसएफ नहीं छोड़ सकते। इसके विरोध में तेज बहादुर राजौरी स्थित मुख्यालय में भूख हड़ताल पर बैठ गए थे। 19 अप्रैल को तेज बहादुर को बीएसएफ से बर्खास्त कर दिया था। उन पर सीमा सुरक्षा बल का अनुशासन तोड़ने को लेकर जांच की गई थी और फिर उन्हें बर्खास्त किया गया था। वहीं बर्खास्त होने के बाद तेज बहादुर ने कहा था कि वह न्याय के लिए लड़ाई जारी रखेंगे। उन्होंने कहा था कि उनकी लड़ाई सारे सैनिकों के लिए है। हरियाणा में महेंद्रगढ़ के राताकलां गांव में रहने वाले तेज बहादुर सिंह स्वतंत्रता सेनानियों की फैमिली से है। उनके पिता शेर सिंह बताते हैं कि उनके पिता ईश्वर सिंह आजाद सुभाष चंद्र बोस के साथ रहते थे। हरियाणा सरकार ने उन्हें ताम्र पत्र देकर सम्मानित कर रखा है। शेर सिंह के 5 बेटे हैं। उनका बड़ा बेटा सुभाष चंद गुजरात पुलिस में है। दूसरा बेटा कृष्ण दीप किसान है। तीसरे नंबर पर भीम सिंह है, जो बीएसएफ में है। वहीं चौथे नंबर का बेटा हनुमान है जो खेती करता है। सबसे छोटे हैं तेज बहादुर। तेज बहादुर की पत्नी शर्मिला रेवाड़ी की एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करती है। उनका एक बेटा रोहित आईआईटी की तैयारी कर रहा है। तेज बहादुर के पिता शेर सिंह के पास 17 एकड़ जमीन है। वे परंपरागत तरीके से उस पर खेती कर रहे हैं। तेज बहादुर के बारे में शेर सिंह बताते हैं कि वह अपने दादा की तरह शुरूआत से अधिकारों की बात करता था। इस वजह से अब वह सेना में जब भी कोई अधिकार की बात उठाता है तो सेना में अफसर उसके खिलाफ कार्रवाई करते हैं।

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