ऑटिज्म का खतरा ऐसे बच्चों में हो सकता है अधिक

नई दिल्ली,कई बच्चे बचपन से ही ऑटिज्म का शिकार होते हैं पर इसका पता शुरुआत में नहीं चल पाता जिससे अभिभावकों को आगे जाकर परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऑटिज्म एक प्रकार की मानसिक बीमारी है। इस बीमारी के लक्षण बचपन से ही बच्चे में नजर आने लगते हैं। इस बीमारी में बच्चे का मानसिक विकास ठीक तरह से नहीं हो पाता है। इस बीमारी से जूझ रहे बच्चे दूसरे लोगों के साथ घुलने-मिलने से कतराते हैं। ऐसे बच्चे किसी भी विषय पर अपनी प्रतिक्रियाएं देने में भी काफी समय लेते हैं।
ऑटिज्म बीमारी का अभी वास्तविक कारण पता नहीं लग पाया है लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि ऑटिज्म की बीमारी जींस के कारण भी हो सकती है। इसके अलावा वायरस, जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी भी ऑटिज्म का कारण बन सकती है।
इस बीमारी पर हुए एक अध्ययन में बताया गया है कि पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) से पीड़ित महिलाओं के बच्चों में ऑटिज्म विकसित होने की अधिक आशंका रहती है। इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान महिला में किसी बीमारी या पोषक तत्वों की कमी भी उनके बच्चे को ऑटिज्म बीमारी का शिकार बना सकती है।
क्या होते हैं लक्षण-
ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे सामान्य बच्चों की तरह किसी भी बात पर प्रतिक्रिया देने से कतराते हैं। ऐसे बच्चे आवाज सुनने के बावजूद भी प्रतिक्रिया नहीं देते हैं।
ऑटिज्म पीड़ित बच्चों को भाषा संबंधी भी कई रुकावटों का सामना करना पड़ता है।
ऑटिज्म बीमारी से पीड़ित बच्चे अपने आप में ही खोए रहते हैं।
अगर आपका बच्चा नौ महीने का होने के बावजूद न तो मुस्कुराता है और न ही कोई प्रतिक्रिया देता है तो सावधान हो जाएं, क्योंकि ये ऑटिज्म का ही लक्षण है।
ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे कभी भी किसी से नजरें मिलाकर बात नहीं करते हैं।
मानसिक विकास न होने की वजह से ऑटिज्म से जूझ रहे बच्चों में समझ विकसित नहीं हो पाती है, जिस कारण उन्हें शब्दों को समझने में दिक्कत होती है।

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