जियो-रीच साफ्टवेयर को लागू करने पर मंथन, सड़क निर्माण टेंडर की गड़बड़ियों पर लगेगी रोक

भोपाल, प्रदेश सरकार ने एनआईसी द्वारा तैयार किए गए जियो-रीच साफ्टवेयर को लागू करने पर मंथन शुरू कर दिया है। इसके लागू होने से सड़क निर्माण के टेंडर में होने वाली गड़बड़ियों पर रोक लगने के साथ ही व लागत को कम करने में भी मदद मिलेगी। इतना ही नहीं, ई-मार्ग साफ्टवेयर के माध्यम से सड़कों की निगरानी को भी हरी झंडी मिल सकती है। पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में इसे लागू किया जाएगा। फिलहाल ग्रामीण विकास विभाग द्वारा इस साफ्टवेयर का उपयोग किया जा रहा है। अब अन्य निर्माण एजेसियों में इसे लागू करने की मंशा सरकार की है। अब तक संबंधित विभाग अपने एसओआर (शेड्यूल ऑफ रेट्स) के आधार पर अनुमानित लागत का टेंडर जारी करते थे। लेकिन अब निर्माण में उपयोग की जाने वाली अलग-अलग सामग्री का टेंडर जारी किया जाएगा। इसमें जो सबसे सस्ती सामग्री (गुणवक्ता संबंधित शर्तानुसार) भरेगा उसे निर्माण कार्य का जिम्मा सौंपा जाएगा। राज्य सरकार के आदेश पर एनआईसी के सीनियर टेक्नीकल डायरेक्टर विवेक चितले की टीम ने जियो-रीच साफ्टवेयर तैयार किया था। साफ्टवेयर में टेंडर संबंधित पूरी शर्तें, अलग-अलग मेटेरियल के लिए टेंडर, कंपनी या ठेकेदार के कागजों की पूरी जानकारी, ऑनलाइन प्रक्रिया, ऑटो रेट टेली सिस्टम, प्रोजेक्ट डिटेल, भुगतान जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं। साफ्टवेयर को ऐसे तैयार किया गया है कि पूरी जानकारी पारदर्शी होगी।
एनआईसी की सात एक्सपर्ट ने मिलकर इसे तैयार किया था। मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत निर्मित लगभग 10 हजार किलोमीटर सड़कों को डामरीकृत करने की जिम्मेदारी मप्र ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण को सौंपी गई है। इन सड़कों के निर्माण व रखरखाव के लिए मप्र सरकार ने विश्व बैंक और एशियन इन्फ्रास्ट्रेक्चर डेवलपमेंट बैंक के साथ 2275 करोड़ का ऋण समझौता अप्रैल 2018 में किया था। अनुबंध के अनुसार राज्य सरकार को टेंडर से लेकर पेमेंट तक की सम्पूर्ण प्रक्रिया पर सतत निगरानी और गुणवत्ता नियंत्रण के लिए ऑनलाइन सिस्टम विकसित करना आवश्यक था। ई-मार्ग साफ्टवेयर से प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़कों की मॉनीटरिंग की जा रही है। प्रदेश में 1 लाख 13 हजार 708 किमी ग्रामीण सड़क में से 64 प्रतिशत 73 हजार 265 किमी प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क हैं। सेटेलाइट के माध्यम से सड़क की निगरानी की जाती है। तकनीक के माध्यम से सड़क की वर्तमान स्थिति का पता लग जाता है। साथ ही सड़क निर्माण करने वाले ठेकेदार की जानकारी, गारंटी पीरियड, भुगतान संबंधित पूरी जानकारी इसमें होती है। लिहाजा सुधार कार्य में देरी भी नहीं होती। ई-मार्ग साफ्टवेयर के साथ ही जियो-रीच साफ्टवेयर का उपयोग किया जाएगा। इस बारे में पीडब्ल्यूडी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा का कहना है कि दोनों ही साफ्टवेयर की जानकारी अधिकारियों से मांगी है। प्रजेंटेशन का निर्देश भी दिया गया है। पहले पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में हम इन्हें अपनाएंगे। हम प्रदेश में बेहतर निर्माण के लिए काम कर रहे हैं।

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