इस साल खिताबी मुकाबलों में जीत हासिल नहीं कर पायी हॉकी टीम

नई दिल्ली,भारतीय पुरूष हॉकी टीम के लिए यह साल अच्छा नहीं रहा और उसे राष्ट्रमंडल, एशियाई खेलों के साथ ही अपनी ही धरती पर हुए विश्व कप को जीतने में सफलता नहीं मिली। भारतीय हॉकी टीम ने इस साल अपने प्रदर्शन को पहले से कहीं बेहतर बनाया है पर तकरीबन हर बार वह अंतिम क्षणों में अवसरों का लाभ नहीं उठाने के कारण जीत हासिल नहीं कर पाई। जकार्ता एशियाई खेलों में भारतीय हॉकी टीम ने लीग मुकाबलों में शानदार प्रदर्शन के बाद भी सेमीफाइनल में मलेशिया के हाथों सडन डेथ में हारकर खिताब जीतने का अवसर खो दिया। इसके अलावा उसके हाथ से टोक्यो ओलंपिक के लिए सीधे क्वालीफाई करने का मौका भी निकल गया। भारत ने हालांकि पाकिस्तान को हराकर कांस्य पदक जीता पर यह यह अपने को सांत्वना देने से ज्यादा कुछ नहीं था। राष्ट्रमंडल खेलों में भी यही रहा भारतीय पुरूष टीम को सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड से 2-3 से हारने के बाद कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा। पुरूष टीम ने कांस्य पदक मुकाबले में इंग्लैंड को 2-1 से हराया। छह देशों के सुल्तान अजलान कप में उसे पांचवां स्थान मिला। वहीं भारतीय टीम को भुवनेश्वर में अपनी मेजबानी में हुए विश्वकप में 43 साल बाद खिताब जीतने की उम्मीद थी पर उसे क्वार्टरफाइनल में हॉलैंड के हाथों हार का सामना करना पड़ा। भारत को अपनी मेजबानी में उम्मीद थी कि टीम कम से कम सेमीफाइनल में पहुंचेगी पर ऐसा हुआ नहीं। भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 5-0 से हराया और इस टूर्नामेंट में चैंपियन बने बेल्जियम से 2-2 का ड्रॉ खेला। भारत ने फिर कनाडा को फिर 5-1 से पीटा और सीधे क्वार्टरफाइनल में जगह बना ली जहां उसे हॉलैंड से 1-2 से हार का सामना करना पड़ा।
सरदार सिंह ने अंतरराष्ट्रीय हॉकी को अलविदा कहा
इन तीन बड़े टूनार्मेंटों को छोड़ दिया जाए तो भारत ने पाकिस्तान के साथ एशियन कप ट्रॉफी को साझा किया। मस्कट में बारिश के कारण फाइनल नहीं खेला जा सका और दोनों टीमें संयुक्त रूप से विजेता बनीं। भारत ने इस साल छह देशों के सुल्तान अजलान कप में पांचवां स्थान हासिल किया। एशियाई कप में खिताब गंवाने का सबसे बड़ा नुकसान पूर्व कप्तान और स्टार मिडफील्डर सरदार सिंह को उठाना पड़ा जिन्होंने एशियाई खेलों के बाद अंतरराष्ट्रीय हॉकी से संन्यास ले लिया। सरदार ने हालांकि कहा कि वह 2020 के ओलंपिक में खेलना चाहते थे लेकिन वह संभवत: कोचों की रणनीति में फिट नहीं बैठ रहे थे इसी कारण उन्होंने संन्यास लेने का फैसला किया।

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