निजी पॉलीटेक्निक का संचालक निकला मास्टर माइंड, बिना परीक्षा दिए पास करवा देता था 10 वीं-12वीं

भोपाल,छात्रों को बिना परीक्षा दिए ही दसवीं-बारहवीं की परीक्षा पास करवाने वाला आरोपी मास्टरमाइंड एक निजी पॉलीटेक्निक का संचालक निकला। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) की परीक्षाओं की सीबीआई जांच में यह खुलासा हुआ है। सरगना के यहां से सीबीआई को एक डायरी मिली है जिसमें न केवल दलालों के नाम, बल्कि परीक्षा हॉल में बैठने वाले परीक्षार्थियों का ब्योरा भी है। गिरोह ने करीब 1700 परीक्षार्थियों को उत्तीर्ण किया है। सूत्रों के मुताबिक एनआईओएस के परीक्षा घोटाले में सीबीआई द्वारा 30 जून 2018 को एफआईआर दर्ज की गई थी। इसमें करीब 1700 परीक्षार्थियों को 10वीं और 12वीं में बिना परीक्षा दिलाए उत्तीर्ण करा दिया गया था। इसमें देशभर में दलालों के माध्यम से गड़बड़ी की गई थी। इसका सरगना दिल्ली के मयूर विहार में ऑस्कर पॉलीटेक्निक इंस्टीट्यूट संचालक आशीष मसीह है, जो मध्य प्रदेश के बैतूल का रहने वाला है। सीबीआई ने तीन दिन पहले जब उसके दिल्ली स्थित निवास व संस्थान पर छापा मारा था तो वह नहीं मिला था।
सूत्रों की माने तो एनआईओएस की परीक्षाओं में परीक्षार्थियों से लेकर उनकी परीक्षा कराने तक की सभी व्यवस्थाएं आशीष के प्लान के मुताबिक होती थीं। परीक्षार्थियों को परीक्षा दिए बिना 10वीं और 12वीं पास की अंकसूची व प्रमाण पत्र दिए जाने की व्यवस्था भी वही करता था। यह तथ्य आशीष और उसकी पत्नी गोल्डी के यहां से मिली एक डायरी से सामने आया है। सूत्रों के मुताबिक, आशीष की डायरी में परीक्षा हॉल की बैठक व्यवस्था का नक्शा भी मिला है। इसमें परीक्षार्थियों की बैठक व्यवस्था के तहत हर परीक्षार्थी के नाम के सामने एक और नाम लिखा है। यह नाम परीक्षार्थी को लाने वाले दलाल का है। सीबीआई को आशीष और उसकी पत्नी गोल्डी के यहां छापे में दस्तावेजों के अलावा करीब दो दर्जन अन्य स्थानों पर छापे में भी ढेरों दस्तावेज मिले हैं। इन दस्तावेजों में दलाल राहुल, तरुण और ऐसे ही कई अन्य एजेंटों के नाम की सूचियां मिली हैं। सूत्रों ने बताया है कि सीबीआई ने पिछले दिनों प्रदेश के तीन स्टडी सेंटर उमरिया, रतलाम और सीहोर सहित भोपाल, गुवाहाटी, दिल्ली सहित देशभर में 26 स्थानों पर छापे मारे थे। सीबीआई को देशभर में मारे गए छापे में दस्तावेजों में कई सूचियों के साथ मूल अंकसूचियां भी मिली हैं जिन्हें दलालों को परीक्षार्थियों को देना था।

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