बैंकों से रेरा प्राधिकरण में पजीकृत प्रोजक्ट ही फाइनेंस हों

भोपाल,प्रदेश की बैंक सिर्फ रेरा प्राधिकरण में पजीकृत प्रोजक्ट को ही फाइनेंस करे। रियल स्टेट के प्रोजेक्ट, कॉलोनियां, रेरा एक्ट के नियमों के अनुरूप होती है। साथ ही फाइनेंस कर ने के लिए उचित व्यवसायिक विकल्प है, जिनमें ऋण वापसी की बेहतर संभावनाएं रहती हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा भी ऐसी मार्गदर्शिका जारी की गई है। बैंको को इन प्रोजेक्ट को फाइनेंस देना चाहिए। यह बात रेरा प्राधिकरण के अध्यक्ष एंटोनी डिसा ने सभी बैंकों के राज्यस्तरीय अधिकारीयों की बैठक को संबोधित करते हुए कही। श्री डिसा ने कहा कि रेरा में पंजीयन होने पर,समय पर आवंटी को, आवास मिलने की गारंटी मिल जाती है। अपंजीकृत प्रोजेक्ट को लोन दिया जाना, न तो जन हित में है न नियमों में और नहीं सही व्यावसायिक निर्णय है।
अध्यक्ष डिसा ने कहा कि रेरा में अपंजीकृत प्रोजेक्ट, रेरा एक्ट के विपरीत होकर,अवैधानिक तो होते हीहै, उनके विफल होने और उनमें निवेशित राशि के लाभदायक अनुपादक सम्पत्ति कीभी आशंका बनी रहती है। बैंक को ऐसे प्रोजेक्ट के ऋण प्रकरणों में भी, निवेश करने से बचना चाहिए। उन्होंने बताया कि प्रोजेक्ट की स्टेज-वाइज पूर्णता के अनुपात में,स्थल-निरीक्षण के अनुसार ही बैंक को ऋण की किश्तस्वीकृतकरना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक बिल्डर को आवंटियों से प्राप्त राशिका 70 प्रतिशत प्रोजेक्ट के इस्क्रो-खाते में रखना जरूरी है। साथ ही बैंक को उतना ही, आहरण करने देना चाहिए, जितने का पूर्णताःप्रमाण-पत्र संलग्न हो। बैठक में राज्य स्तरीय बैंकिंग के लीड अधिकारी अजय व्यास नेबैंकोंकी ओर से आश्वस्त किया कि प्रदेश के बैक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया तथा रेरा-एक्ट के नियमों के अनुसार ही प्रोजेक्ट कॉलोनियों में फाइनेंस कर रहें है। साथ ही उनका सामाजिक दायित्व पूरा हो। वहीं ऋण की अदायगी भी सुनिश्चित हो सके।

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