भाजपा के गढ़ में कांग्रेस को वापसी की दरकार

( मध्यप्रदेश चुनाव 2018 विशेष ) नीमच,नीमच जिले की दलीय स्थिति की बात करें तो यहां कुल 3 विधानसभा सीट हैं। इनमें नीमच, मनासा और जावद शामिल है। 2013 के चुनाव में जिले की तीनों विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा। नीमच विधानसभा सीट पर दिलीप सिंह परिहार, मनासा विधानसभा सीट पर कैलाश चावला और जावद विधानसभा सीट पर ओमप्रकाश सखलेचा, बीजेपी विधायक हैं। यह जिला प्रदेश की राजनीति में अपना अहम स्थान रखता है, क्योंकि प्रदेश के दो मुख्यमंत्री वीरेंद्र कुमार सखलेचा और सुन्दर लाल पटवा इसी जिले से थे। इस समय जिले के तीनों विधानसभा क्षेत्रों पर भाजपा के विधायकों का कब्जा है, इसलिए इसे भाजपा का गढ़ मान लिया गया है।हालांकि वर्ष 2008 में मनासा सीट कांग्रेस के पास थी। मगर, इस बार मतदाताओं का मानस बदलाव का संकेत देता दिखायी दे रहा है। समग्र व्यवस्था के प्रति किसानों और स्थानीय रहवासियों का आक्रोश नजर आ रहा है। तीनों सीटों पर जन-प्रतिनिधियों के खिलाफ विरोध के स्वर मुखर होने के बावजूद कांग्रेस इस नाराजगी को भुनाने में फिलहाल सक्षम नजऱ नहीं आ रही।जबकि भाजपा तमाम विरोध के बावजूद अपने हौसले बुलंद रखते हुए गढ़ को बचाये रखने की हर संभव कोशिश में जुटी है। कुल मिलाकर देखा जाये तो वर्तमान स्थिति में भाजपा सरकार के प्रति विशेषकर किसानों, युवाओं और व्यापारियों की नाराजगी कांग्रेस का सम्बल बन सकती है, मगर कांग्रेसियों की कलह उसकी राह में बाधा है।
मनासा विधानसभा
मनासा विधानसभा में अब तक 13 आम चुनाव हुए है। इसमें कांग्रेस को 8 बार और 5 बार भाजपा प्रत्याशी को जीत मिली है। यहां से तीसरी शक्ति का उदय नहीं हो पाया और न ही कोई निर्दलीय चुनाव जीता। 1993 व 2008 के चुनाव में पिता-पुत्र ने भाजपा को जीतने नहीं दिया। 11 चुनाव में मुख्य मुकाबला कांग्रेस-भाजपा के बीच ही रहा है। मनासा विधानसभा में ज्यादातर कांग्रेस का कब्जा रहा है। भाजपा ने पूरी ताकत झोंकी लेकिन दो बार उन्हीं की पार्टी के बागी ने समीकरण बिगाड़ दिए। 1993 में निर्दलीय रामेश्वर मारू की वजह से भाजपा चुनाव जीत नहीं सकी। 2008 के चुनाव में रामेश्वर मारू के पुत्र माधव मारू भाजश प्रत्याशी के रूप में मैदान में थे। इसलिए भाजपा प्रत्याशी कैलाश चावला को तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा।पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा ने यहां से पांच चुनाव लड़े और दो बार जीते व तीन बार हार का मुंह देखना पड़ा। पहली बार 1957 में जनसंघ के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और कांग्रेस से मनासा के प्रथम विधायक रामलाल पोखरना को हराया। पटवा ने दूसरा चुनाव 196 2 में लड़ा और कांग्रेस के सूरजमल तुगनावत को पराजित किया। 196 7 में बालकवि बैरागी, 1972 में सूरजमल तुगनावत और 1985 में नरेंद्र नाहटा ने पटवा को शिकस्त दी। इसके बाद पटवा ने मनासा विस से चुनाव नहीं लड़ा।कांग्रेस के नरेंद्र नाहटा 198 5, 1990, 1993, 1998 व 2003 समेत पांच चुनाव लड़े। तीन बार विजयी मिली और दो बार पराजय का सामना करना पड़ा। 1990 में भाजपा के राधेश्याम लढ़ा और 2003 में कैलाश चावला ने हराया। नाहटा दिग्विजससिंह सरकार में जनशक्ति नियोजन व उद्योगमंत्री रहे है। 1993 में भाजपा के बागी रामेश्वर मारू को 12238 वोट से पराजित किया। 2013 के चुनाव में भाजपा के कैलाश चावला ने कांग्रेस के विजेन्द्र सिंह को 14028 वोटों से हराया था वहीँ 2008 के चुनाव में विजेन्द्र सिंह मालाखेड़ा ने भाजपा के कैलाश चावला को 11485 वोटों से था।
जावद विधानसभा
जावद विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो वहां काबिज विधायक ओमप्रकाश सकलेचा अपने पिता पूर्व मुख्यमंत्री वीरेन्द्र कुमार सकलेचा की जमीन पर जीत की फसल काट रहे हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस के ही बागी राजकुमार रमेश चन्द्र अहीर ने दूसरे नंबर पर रहकर अधिकृत कांग्रेस प्रत्याशी की ज़मानत जब्त करा दी थी। अहीर 2008 में कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी थे। यहां के जाति समीकरण भी चुनावी नतीजों को खासे प्रभावित करते हैं।दरअसल जावद में 1998 में कांग्रेस के टिकट पर घनश्याम पाटीदार यहां आखिरी बार चुनाव जीते थे। लेकिन 2003 में ओमप्रकाश सकलेचा यहां पहली बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े और 26 हजार 635 वोटों से अपने प्रतिद्वंदी को हराने के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2008 में भी बीजेपी ने ओमप्रकाश सकलेचा पर अपना भरोसा जताया, जिन्होंने कांग्रेस के राजकुमार अहिर को शिकस्त दी। 2013 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो बीजेपी ने तीसरी बार ओमप्रकाश सकलेचा को टिकट दी। वहीं कांग्रेस के टिकट नहीं देने पर राजकुमार अहिर निर्दलीय चुनाव लड़े, जिसमें ओमप्रकाश सकलेचा ने 14651 वोटों से बाजी मारी।
नीमच विधानसभा
नीमच विधानसभा सीट पर भाजपा से दिलीप सिंह परिहार विधायक हैं। २००८ के चुनाव में भी भाजपा जीती थी। २०१३ में दिलीप सिंह परिहार ने कांग्रेस के श्री नंदकिशोर पटेलको 21667 वोटो से शिकस्त दी थी २००८ के चुनाव में कांग्रेस के रघुराज सिंह चौरडिया को भाजपा के खुमान सिंह शिवाजी ने 13843 वोटों से हराया था।

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