सप्तऋषियों की तपोभूमि में भाजपा को अच्छे प्रदर्शन की आस, कांग्रेस को वापसी का इन्तजार

( छत्तीसगढ़ चुनाव 2018 विशेष ) धमतरी,छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले की तीनों सीटों पर कभी कांग्रेस का बोलबाला हुआ करता था,लेकिन पिछले चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस को पटकनी देकर यहाँ की सियासी राजनीति में अपना विशेष दखल शुरू किया। धमतरी में तीन विधानसभा सीट आती है सिहावा, कुरुद और धमतरी। दो सीटों पर भाजपा का कब्ज़ा है जबकि एक पर कांग्रेस का विधायक है। सिहावा और कुरुद विधानसभा सीट भाजपा ने पिछले चुनाव में कांग्रेस से जीती थी वहीँ धमतरी सीट पर कांग्रेस अपनी साख कायम रख पाने में सफल रही। ये कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था लेकिन पिछले चुनाव में भाजपा ने दो सीटों पर जीत कर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इस चुनाव में कांग्रेस के लिए चुनौती होगी की वो अपना खोया जनाधार वापस पाए।
सिहावा विधानसभा :
छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले की सिहावा विधानसभा सीट पिछले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के खाते में आई थी। पिछले तीन चुनावों में इस सीट पर दो बार बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। बता दें कि ये सीट एसटी के लिए आरक्षित है। महानदी का उद्गम स्थल और सप्तऋषियों की तपोभूमि सिहावा कभी आदिवासी नेताओँ का गढ़ रहा है। यहां के आदिवासी अपनी मांगों को लेकर समय-समय पर आंदोलन करते रहे हैं। चुनावी नतीजों के लिहाज से देखें तो सिहावा कांग्रेस का गढ़ रहा है..लेकिन यहां की जनता।पार्टी से ज्यादा प्रत्याशी को महत्व देते रहे हैं..1962 से ही ये सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है।सिहावा के सियासी इतिहास की बात की जाए तो 1962 में जनसंघ और 1977 में जनता पार्टी के विधायक चुने गए..हालांकि इसी बीच 1976 और 72 में कांग्रेस के पुसऊ राम चुनाव जीते और लगातार 7 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का परचम लहराया। इसके बाद 1990, 93 और 98 में कांग्रेस के माधव सिंह ध्रुव विधायक निर्वाचित हुए..और अविभाजित मध्यप्रदेश में मंत्री रहे। 2003 में बीजेपी की पिंकी शाह ने कांग्रेस के इस गढ़ में सेंध लगाते हुए माधव सिंह ध्रुव को शिकस्त दी..लेकिन 2008 में कांग्रेस की अंबिका मरकाम ने चुनाव जीत कर सीट वापस कांग्रेस की झोली में डाल दी..जबकि 2013 में बीजेपी के श्रवण मरकाम ने अंबिका मरकाम को हराकर सीट पर कब्जा किया। 2008 के परिसीमन के बाद सियासी का सियासी समीकरण काफी बदला है..यहां महिला वोटर्स की संख्या पुरुषों से ज्यादा है। यही वजह है कि पार्टियां महिला वोटर्स को रिझाने के लिए चुनाव में महिला प्रत्याशी को ही प्राथमिकता देते हैं।2013 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के श्रवण मर्कम ने जीत दर्ज की थी।उन्होंने कांग्रेस की अंबिका मर्कम को मात दी थी।अंबिका पहले भी यहां से विधायक रह चुकी हैं.
2013 विधानसभा चुनाव,श्रवण मर्कम, बीजेपी, कुल वोट मिले 53894 अंबिका मर्कम, कांग्रेस, कुल वोट मिले 46407
2008 विधानसभा चुनाव,अंबिका मर्कम, कांग्रेस, कुल वोट मिले 56048 पिंकी शिवराज शाह, बीजेपी, कुल वोट मिले 41152
2003 विधानसभा चुनाव, पिंकी ध्रुव, बीजेपी, कुल वोट मिले 47624 माधव सिंह ध्रुव, कांग्रेस, कुल वोट मिले 31559
धमतरी विधानसभा
छत्तीसगढ़ की धमतरी विधानसभा सीट पर भी सभी की नज़रें हैं।धमतरी खुद एक जिला है। धमतरी पिछले दो चुनावों से कांग्रेस का गढ़ रहा है।यहां से कांग्रेस विधायक गुरुमुख सिंह ने पिछले दो चुनावों में बीजेपी को काफी बड़े अंतर मात दी है।यूं तो पिछले चुनावों में गुरुमुख सिंह को कोई टक्कर नहीं दे पाया है, लेकिन इस बार त्रिकोणीय मुकाबले की उम्मीद जताई जा सकती है।क्योंकि अजीत जोगी की पार्टी भी यहां से चुनाव लड़ेगी।जोगी की पार्टी की तरफ से दिग्विजय कृदत्त यहां से चुनाव लड़ेंगे.छत्तीसगढ़ के गठन के बाद धमतरी में तीन विधानसभा चुनाव हुए हैं। इनमें से पहली बार जीत का ताज भाजपा को मिला जबकि अगले दो चुनाव कांग्रेस की झोली में गए।सन 2003 के चुनाव में भाजपा के इंदरचंद चोपड़ा को 70,494 मत मिले थे, जबकि कांग्रेस के गुरुमुखसिंह होरा को 56,914 पर संतोष करना पड़ा था। फिर आया 2008 का चुनाव।इसमें कांग्रेस प्रत्याशी गुरुमुखसिंह होरा को 76,746 तथा भाजपा प्रत्याशी विपीन साहू को 49,739 वोट मिले। भाजपा ने अगली बार पुन: इंदरचंद चोपड़ा को 2013 के चुनाव मैदान में उतारा लेकिन होरा ने 10,500 वोट से उन्हें शिकस्त दे दी।
2013 विधानसभा चुनाव, गुरुमुख सिंह, कांग्रेस, कुल वोट मिले 70960 इंद्र चोपड़ा, बीजेपी, कुल वोट मिले 60460
2008 विधानसभा चुनाव, गुरुमुख सिंह, कांग्रेस, कुल वोट मिले 76746 विपिन कुमार साहू, बीजेपी, कुल वोट मिले 49739
2003 विधानसभा चुनाव, इंद्र चोपड़ा, बीजेपी, कुल वोट मिले 70494 गुरुमुख सिंह, कांग्रेस, कुल वोट मिले 56914
कुरुद विधानसभा
छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले की कुरुद विधानसभा सीट चुनावी दांवपेच का अखाड़ा रही है।पिछले तीन चुनाव में यहां हर बार विधायक बदला है।यानी जनता यहां पर मौका तो देती है लेकिन अगर उम्मीदों पर खरा ना उतरा जाए तो नेता बदलने में देरी नहीं करती है.कुरुद विधानसभा सीट सामान्य सीट है।पिछले चुनाव में यहां पर भारतीय जनता पार्टी के अजय चंद्राकर ने जीत दर्ज की थी।उन्होंने कांग्रेस के लेखाराम साहू को करीब 23 हज़ार वोटों से मात दी थी।खास बात यह थी कि 2008 में लेखाराम ने अजय को मात दी थी.हालांकि, इस बार यहां पर मुकाबला और भी दिलचस्प हो सकता है।चूंकि, इस बार कांग्रेस और बीजेपी के अलावा अजीत जोगी की जनता छत्तीसगढ़ कांग्रेस और आम आदमी पार्टी भी मैदान में है।
2013 विधानसभा चुनाव, अजय चंद्राकर, बीजेपी, कुल वोट मिले 83190 लेखाराम साहू, कांग्रेस, कुल वोट मिले 56013
2008 विधानसभा चुनाव, लेखाराम साहू, कांग्रेस, कुल वोट मिले 64299 अजय चंद्राकर, बीजेपी, कुल वोट मिले 58094
2003 विधानसभा चुनाव, अजय चंद्राकर, बीजेपी, कुल वोट मिले 56247 भूलेश्वरी दीपा साहू, कांग्रेस, कुल वोट मिले 53538

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