संसद की तरह अब अदालतों की भी कार्यवाही का होगा सीधा प्रसारण

नई दिल्ली, संसद की तरह अब सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट सहित सभी अदालतों की सुनवाई का सीधा प्रसारण किया जाएगा। कोर्ट ने कार्यवाही के सीधे प्रसारण को हरी झंडी दे दी है। कोर्ट ने कहा कि अब लोगों को अदालत आने की जरूरत नहीं पड़ेगी। भारत में कोर्ट सबके लिए खुला है। कोर्ट ने कहा कि इसकी शुरुआत सुप्रीम कोर्ट से ही होगी। इसके लिए नियमों का पालन करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत की कार्यवाही का सीधा प्रसारण न्यायिक प्रणाली में पारदर्शिता लाएगा। कोर्ट ने कहा कि सूर्य की रोशनी कीटाणुओं को नष्ट करने के लिए सबसे अच्छी है। जनता के अधिकारों और वादियों के सम्मान की रक्षा के बीच संतुलन बैठाने के लिए जरूरी नियम जल्द ही बनाए जाएंगे। इससे पहले पिछले महीने भी मामले पर सुनवाई हुई थी, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कोर्ट रूम से भीड़ कम करने के लिए वह ‘ओपन कोर्ट’ की अवधारणा को लागू करना चाहता है।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल के सुझाव को मानते हुए मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
पीठ ने कहा था, ‘हमें सीधे प्रसारण में कोई कठिनाई नहीं दिखती। पहले हम इसे शुरू करेंगे और देखेंगे कि क्या होता है। यह पायलट परियोजना है और समय के साथ इसमें सुधार करेंगे। दरअसल, अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने सुझाव दिया था कि पायलट परियोजना के आधार पर अहम मुकदमों का सीधा प्रसारण किया जा सकता है। उन्होंने कहा था, ‘सीधे प्रसारण में 70 सेकेंड की देरी होनी चाहिए ताकि अगर कोई वकील दुव्र्यवहार करे या मामला व्यक्तिगत निजता या राष्ट्रीय सुरक्षा जैसा संवेदनशील हो तो जज आवाज को बंद कर सकें।
पायलट परियोजना के तौर पर सीजेआई कोर्ट संख्या-1 से सीधा प्रसारण शुरू किया जाए। इसकी सफलता पर निर्भर करेगा कि सुप्रीम कोर्ट की सभी और देशभर की अदालतों की कार्यवाही का सीधा प्रसारण किया जाए या नहीं। साथ ही उन्होंने कोर्ट रूम से भीड़ कम करने के लिए कोर्ट परिसर में एक मीडिया रूम स्थापित करने का भी सुझाव दिया था ताकि वादी, पत्रकार, वकील और आगंतुक कार्यवाही को देख सकें।

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