छिंदवाड़ा,नकली सब इंस्पेक्टर बनकर एक युवती को ढाबा संचालक को धौंस देना महंगा पड़ गया। ढाबा संचालक संदीप गांजर की रिपोर्ट पर पुलिस ने नकली पुलिस की वर्दी पहने एक युवती को धर दबोचा। पुलिस ने उसके खिलाफ धोखाधड़ी और पुलिस की वर्दी पहनकर छल करने की धाराओं में मामला पंजीबद्ध कर उसे गिरफ्तार किया है। पुलिस ने उसके कब्जे से वर्दी, बैल्ट, पीकेप और उसकी नाम पट्टिका जब्त किया है। घटना के संबंध में पांढुर्णा थाना प्रभारी मुकेश खंपरिया ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से मारूड क्षेत्र की रहने वाली युवती पुलिस की वर्दी पहनकर लोगों डरा धमका कर धौंस दे रही थी। सूचना मिलने के बाद पुलिस ने मारूड निवासी उक्त युवती सलमा पिता शेख इजराईल को पकड़कर पूछताछ की। पूछताछ में उसने बताया कि उसने सागर पुलिस टेनिंग सेंटर से ट्रेनिंग ली है और जबलपुर ट्रेनिंग सेंटर में भी कुछ दिन रही है जबकि जबलपुर में पुलिस ट्रेनिंग सेंटर नहीं है। साथ ही सलमा ने पुलिस को बताया कि उसे लोग सेवा आयोग के माध्यम से सब इंस्पेक्टर की परीक्षा उत्तीर्ण की है। जबकि सब इंस्पेक्टर की परीक्षा पीएससी के माध्यम से होती है और भर्ती होने से पहले सबंधित थाने से चरित्र सत्यापन भी कराया जाता है लेकिन थाना में पिछले तीन सालों में इस नाम की किसी युवती का चरित्र सत्यापन नहीं कराया गया। सलमा की इन्हीं सब बातों से पुलिस को शक हुआ। पुलिस ने सागर पुलिस ट्रेनिंग सेंटर के डीएसपी इन्द्रकुमार सैनी से सलमा शेख के संबंध में पूछताछ की और पिछले तीन सालों में इस नाम की कोई महिला सब इंस्पेक्टर ट्रेनिंग में की थी या नहीं। ट्रेनिंग सेंटर के डीएसपी सैनी ने जब इस बात की जानकारी दी कि सलमा नाम की कोई महिला सब इंस्टपेक्टर ने ट्रेनिंग नहीं ली। इस बात का पता चलते ही पुलिस ने योजना बनाकर उसे थाने बुलाया और सलमा शेख को गिरफ्तार कर लिया। सलमा को पकड़ने में टीआई खंपरिया के अलावा सबइंस्पेक्टर सुंदरलाल पवार, महिला सब इंस्पेक्टर प्रिसी साहू, अविनाश नागर, एएसआई ओपी सनोडिया, आरक्षक शरद चौहान, अनुरोध, जितेन्द्र सिंह सेंगर का सहयोग रहा।
सम्मान करने बुलाया और धर लिया
नकली इंस्पेक्टर मामले में पकड़ी गई सलमा को पुलिस ने सम्मान करने के लिए उसके मोबाइल नंबर पर संपर्क किया। पुलिस कर्मियों का फोन आते ही वह खुशी से फूली नहीं समाई और पूरी इंस्पेक्टर वर्दी पहनकर वह थाने पहुंची। उसे यह नहीं मालूम था कि पुलिस उसे सम्मान करने बहाने बुला रही है। पुलिस द्वारा दिए गए समय पर वह पांढुर्णा थाने पहुंची जहां पुलिस कर्मी उसका बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। उसके पहुंचते ही पुलिस ने उससे परेड कराई लेकिन वह पुलिस के अनुकूल परेड नहीं कर सकी। तो पुलिस ने योजना के मुताबिक उसे अपनी अभिरक्षा में ले लिया।
ढाबा संचालक से कर रही थी वसूली
पुलिस ने बताया कि मारूड निवासी सलमा शेख पुलिस की वर्दी पहनकर 29 जुलाई की रात सलमा शेख अपने एक साथी के साथ कार क्रमांक एमपी 04 सीके 9992 से हाईवे रोड स्थित बदरवाला ढाबा के संचालक संदीप गांजर के पास पहुंची और उसने वहां ढाबा संचालक को धौंस देते हुए कहा कि मुझे एसपी से मिलने छिंदवाड़ा जाना है कार का डीजल टैंक फुल करा दो और रास्ते का खर्च पानी के पैसे दो। ढाबा संचालक ने डीजल डालने में आनाकानी की तो सलमा ने उसे धौंस देते हुए कहा मैं पुलिस वाली हूं व्यवस्था नहीं कराई तो तेरा ढाबा बंद करा दूंगी। इसके बाद ढाबा संचालक ने उसे दूसरे दिन व्यवस्था करने की बात कही और सोमवार को उसने पांढुर्णा थाने में शिकायत दर्ज करा दी। शिकायत पर पुलिस ने सलमा पिता इजराईल शेख के खिलाफ धारा 419, 171, 384 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर लिया है।
पीएससी की कर रही है तैयारी
पुलिस ने बताया कि नकली इंस्पेक्टर मामले में पकड़ी गई सलमा बताया कि उसका उद्देश्य केवल अपना सपना पूरा करना था। इसके लिए ही उसने पुलिस की नकली वर्दी छिंदवाड़ा के परासिया रोड स्थित एक टेलर के यहां से खरीदी थी। उसका सपना था कि वह पुलिस इंस्पेक्टर बने लेकिन वह पीएससी में सफल नहीं हो सकी थी। इस बात का उसे अफसोस भी था। वर्तमान में वह पीएससी की तैयारी दोबारा से कर रही है।
वर्दी पर बायी तरफ लगाई नेमप्लेट
टीआई श्री खंपरिया ने बताया कि आमतौर पर पुलिस कर्मी अपनी नाम पट्टिका दाहिनी तरफ पॉकेट के ऊपर लगाते हैं लेकिन इंस्पेक्टर बनने का सपना देख रही आरोपी सलमा ने अपने नाम की पट्टिका बायीं तरफ के पैकेट में लगा रखी थी। उसकी वर्दी भी अन्य पुलिस अधिकारियों की तरह नहीं थी। जिससे आम लोगें के साथ पुलिस को भी शक हुआ और शिकायत के बाद पुलिस ने सलमा को दबोच लिया।
जल्दबाजी न करे मीडिया
पांढुर्णा टीआई मुकेश खंपरिया ने कहा कि सलमा शेख के मामले में मीडिया ने जल्दबाजी की और बिना पुष्टि किए ही उसे पुलिस इंस्पेक्टर बताया। जिससे उसका हौंसला और बढ़ गया और उसने कुछ लोगों को इंस्पेक्टर की धौंस भी दी थी। उन्होंने मीडियाकर्मियों से अपील की है कि ऐसे मामलों में जल्दबाजी न करें और खबर की पूरी तरह पुष्टि करने के बाद ही उसे प्रकाशित करें। ताकि मीडिया की विश्वसनीयता बनी रहे।
नकली सब इंस्पेक्टर बनकर दे रही थी धौंस पकड़ी गई
