मुंबई,महाराष्ट्र विधान सभा में विपक्षी नेताओं ने मुंबई के कालेजों में हिंदू धार्मिक ग्रंथ ‘भागवत गीता’ बांटने के प्रस्ताव का आज कड़ा विरोध किया। विपक्ष ने कहा कि सरकार शिक्षा में धार्मिक चीजें शामिल करना चाहती है। सरकार ने विपक्ष के आरोप को खारिज कर दिया। शिक्षा मंत्री विनोद तावडे ने बताया कि इस संबंध में ठाणे जिला के एसी भक्ति वेदांत समूह की ओर से एक प्रस्ताव आया था कि वे भागवत गीता की प्रति नि:शुल्क बांटना चाहते हैं, जिस पर उच्च शिक्षा निदेशालय निर्णय लिया। तावडे ने कहा कि यदि कोई बाइबल या कुरान की प्रतियां नि:शुल्क बांटना चाहता है तो उसे भी वह अनुमति दी जाएगी। विपक्षी दलों को यह सोचना चाहिए कि क्या भगवद्गीता छात्रों में बांटने योग्य ग्रंथ नहीं है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा कि वे भगवद् गीता का विरोध नहीं कर रहे हैं। उन्होंने प्रश्न किया लेकिन इसे शिक्षा संस्थानों में बांटने की क्या जरूरत है।
राकांपा के वरिष्ठ नेता जितेन्द्र चव्हाण, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेताओं ने सरकार के इस कदम की निंदा की है। इस मामले से सरकार का कोई कोई लेना देना नहीं है। सरकार ने सिर्फ, कुछ कालेजों के नाम की सूची भक्तिवेदांत समूह को उपलब्ध कराई थी। समूह के लोगों ने भगवद्गीता की कुछ प्रतियां शिक्षा निदेशालय में रखवाई थी और कालेजों को वहां से अपने कोटे की प्रतियां लेने के लिए कहा था। निदेशालय के अनुसार भगवद् गीता के वितरण को रोकने के संबंध में कल आदेश जारी किया जाएगा।