मुसलमान तस्वीरों और मूर्तियों को नहीं देते तव्ज्जों, जिन्ना की तस्वीर से क्या मतलब: रामदेव

नालंदा,अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पाकिस्तान के जनक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर से उपजे विवाद में योग गुरु बाबा रामदेव कूद गए हैं। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय के लोग तस्वीरों और मूर्तियों को तव्ज्जों नहीं देते इसलिए उन्हें जिन्ना की तस्वीर के लिए भी परेशान नहीं होना चाहिए। रामदेव बिहार के नालंदा में एक योग सेशन के बाद मीडिया से मुखातिब होने के दौरान यह कह रहे थे।उन्होंने कहा, मुसलमान तो चित्रों और मूर्तियों में विश्वास नहीं रखते। उन्हें इस बारे में चिंता ही नहीं करनी चाहिए। रामदेव ने मीडिया से यह भी कहा कि जिन्ना का भूत इन दिनों कुछ ज्यादा ही लाइमलाइट बटोर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान के निर्माता अपने देश के लिए आदर्श हो सकते हैं लेकिन उनके लिए नहीं जो भारत की एकता और अखंडता पर यकीन रखते हैं।
दरअसल अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जिन्ना की तस्वीर के साथ ही इसमें राजनीति शुरू हो गई है। कांग्रेस के निलंबित नेता मणिशंकर अय्यर ने विवाद के इतर जिन्ना की तारीफ करते हुए उन्हें कायद-ए-आजम कहकर संबोधित किया था। इससे बीजेपी के नेताओं ने उनकी आलोचना करनी शुरू कर दी। केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने अय्यर के बयान को कांग्रेस की सच्ची भावनाएं कहा था। इससे पहले उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ और डेप्युटी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी कैंपस में जिन्ना की तस्वीर की आलोचना कर चुके हैं।
इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब अलीगढ़ के सांसद सतीश गौतम ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटीमें पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर का मुद्दा उठाते हुए एएमयू के वीसी तारिक मंसूर को लिखे खत में पूछा था कि यूनिवर्सिटी में जिन्ना की तस्वीर क्यों लगाई गई है? इस पर विश्वविद्यालय के प्रवक्ता प्रफेसर शैफी किदवई ने कहा कि विश्वविद्यालय की बहुत पुरानी परंपरा है कि वह प्रमुख राजनीतिक, सामाजिक और शिक्षा के क्षेत्र की महान शख्सियतों को आजीवन सदस्यता देता है। जिन्ना को भी विश्वविद्यालय छात्र संघ की आजीवन सदस्यता 1938 में दी गई थी।

 

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