नई दिल्ली,देश की तीन संसदीय सीट में करारी हार के दूसरे ही दिन भाजपा के लिए बुरी खबर आई है। तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के मंत्रियों के इस्तीफे देने के बाद अब पार्टी शुक्रवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से नाता तोड़ सकती है। दरअसल, आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा न मिलने से सत्तारूढ़ पार्टी नाराज है और चंद्रबाबू नायडू मोदी से खफा हैं। आंध्र में टीडीपी की धुर विरोधी वाईएसआर कांग्रेस संसद में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला रही है। वाईएसआर कांग्रेस अध्यक्ष जगन मोहन रेड्डी ने इस बारे में सभी विपक्षी दलों को पत्र लिखकर अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करने की गुजारिश की है। तेलुगू देशम पार्टी इस अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन कर सकती है। टीडीपी ने सदन की कार्यवाही से पहले पोलितब्यूरो की मीटिंग भी बुलाई है। सूत्रों के मुताबिक, तेलुगू देशम पार्टी का मानना है कि आंध्र प्रदेश के हितों को लिए उसकी मांगों को समर्थन मिलना चाहिए, लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा। इसके पहले अमरावती में पोलितब्यूरो की मीटिंग के बाद टीडीपी सुप्रीमो एन. चंद्रबाबू नायडू ने अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करने का फैसला लिया।
मोदी-नायडू की चर्चा रही बेनतीजा
2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर गठबंधन बना रहे, इसके लिए पीएम मोदी ने चंद्रबाबू नायडू से बात की, लेकिन बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला। इसके बाद दो मंत्रियों अशोक गजपति राजू और वाईएस चौधरी ने मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था।
आंध्र में ही घिरे नायडू
मोदी सरकार से अपने मंत्रियों को वापस बुलाने के बाद नायडू के धुर विरोधी और वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख जगन मोहन रेड्डी ने कहा था कि टीडीपी एनडीए से समर्थन वापस लेकर दिखाए, रेड्डी ने कहा था कि चंद्रबाबू ऐसा कभी नहीं कर सकते, क्योंकि वो डरते हैं।
मोदी सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ेगा
लोकसभा में बीजेपी पूर्ण बहुमत में है। ऐसे में टीडीपी के अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करने या गठबंधन से अलग होने से केंद्र्र सरकार को फिलहाल कोई खतरा नहीं है।
राहुल, शरद, ममता बनाएंगे महागठबंधन
28 को महत्वपूर्ण बैठक
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की है। ऐसा माना जा रहा है कि 2019 के आम चुनाव से पहले भाजपा के खिलाफ विपक्ष के संयुक्त मोर्चे के लिए प्रयासों को मजबूती देने के लिए यह मुलाकात हुई है। दोनों नेताओं के बीच यह मुलाकात इस समय में हुई जबकि कांग्रेस का उत्तरप्रदेश एवं बिहार में हुए उपचुनाव में काफी खराब प्रदर्शन रहा है। उत्तरप्रदेश में गोरखपुर एवं फूलपुर संसदीय क्षेत्र के लिए हुए उपचुनावों में भाजपा को भी पराजय का सामना करना पड़ा। वहीं कांग्रेस के नेताओं की जमानत भी जप्त हो गई।
पंवार और राहुल की यह मुलाकात राकांपा प्रमुख के आवास पर हुई। कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार माना जाता है कि भाजपा के खिलाफ विपक्ष के संयुक्त मोर्चे को बनाने के बारे में प्रयासों पर विचार विमर्श किया गया। इस बैठक से एक दिन पहले ही संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने विपक्षी नेताओं के लिए एक रात्रिभोज की मेजबानी की थी जिसमें कांग्रेस सहित 20 विपक्षी दलों ने शिरकत की। महाराष्ट्र के बाद राहुल बंगाल की सीएम तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के साथ मुलाकात कर सकते हैं। सूत्रों ने कहा कि पवार द्वारा 28 मार्च को बुलायी गई विपक्ष की संयुक्त बैठक में ममता भाग ले सकती हैं। गौरतलब है कि विपक्षी पार्टियां मोदी सरकार के खिलाफ लोकतंत्र की हत्या का कैंपेन चला रही है। शरद पवार और राहुल गांधी की बैठक के दौरान एनसीपी नेता प्रफुल पटेल भी मौजूद रहे थे।
बता दें कि सोनिया गांधी ने 13 मार्च को विपक्षी पार्टियों डिनर पर आमंत्रित किया था, इसमें करीब 20 पार्टियों के नेता शामिल हुए थे। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस डिनर के बाद ट्वीट किया कि इस डिनर में विपक्ष के नेताओं को आपस में मुलाकात का मौका मिला। उन्होंने कहा कि इस डिनर से इन नेताओं के बीच नजदीकियां बढ़ी हैं। उन्होंने आगे लिखा कि इस दौरान काफी राजनीतिक बातें हुईं,लेकिन इससे महत्वपूर्ण यहां सकारात्मक ऊर्जा,गर्मजोशी और सच्ची दोस्ती और लगाव देखने को मिला। राहुल गांधी 28 मार्च को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी मुलाकात कर सकते हैं। ममता 28 तारीख को दिल्ली आ रही हैं। शरद पवार और राहुल गांधी की ये बैठक संसद में वित्त विधेयक को लेकर हुई। लोकसभा में ये विधेयक बिना किसी चर्चा के पास हो गया था।
मोदी सरकार ने टीडीपी को मनाने शुरू की कवायद
आंध्र को दिया विशेष पैकेज
आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा देने को लेकर उठे विवाद के बीच केंद्र ने राज्य को विशेष सहायता के तौर पर 12,476 करोड़ रुपए देने की घोषणा की है। 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर केंद्र की मोदी सरकार ने इस सहायता राशि के जरिए आंध्र प्रदेश में सत्ता पर काबिज तेलगू देशम पार्टी (टीडीपी) की सरकार को साधने की कोशिश की है। बता दें कि टीडीपी आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर रही है। इसके लिए उसने केंद्र सरकार में शामिल अपने दोनों मंत्रियों अशोक गजपति राजू और वाईएस चौधरी को हटा लिया है।
टीडीपी को भी भाजपा की जरूरत
भाजपा और टीडीपी को एक-दूसरे की जरूरत है और यह जरूरत टीडीपी को ज्यादा है। 2019 के आम चुनाव में राज्य में टीडीपी के सामने कई कठिन चुनौतियां हैं। इनमें से कई चुनौतियों से नरेन्द्र मोदी सरकार की मदद के बिना नहीं निपटा जा सकता। यही कारण है कि टीडीपी खुद को एनडीए से अलग नहीं कर पाई। जरुरत भाजपा को टीडीपी की भी है। केंद्र सरकार ने गुरुवार को बताया कि आंध्र प्रदेश को विशेष सहायता के तौर पर 12476.76 करोड़ रुपए का विशेष पैकेज उसने जारी कर दिया है। गृह राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने केवीपी रामचंद्र राव के एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी। हालांकि टीडीपी का कहना है कि केंद्र सरकार अपने वादों को पूर्ण करने में नाकाम रही है।