खेती की जमीन गिरवी रख भी किसान नहीं हो पा रहा ट्रेक्टर के कर्ज से मुक्त

जगदलपुर,बस्तर में किसान क्रेडिट कार्ड का खेल जोरो पर रहा। गत दस सालों में यहां पर सरकारी योजनाओं को अंजाम देने के नाम पर और उन्नत खेती को बढ़ावा देने का सब्जबाग दिखाकर किसानों को इस मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया गया है कि आज वे न घर के हैं और न घाट के हैं। किसानों के इस स्थिति के लिए बस्तर के सात ब्लाक के किसानों का कहना है कि उन्हें दलालों ने फंसाया और यही दलाल बैंक, फाइनेंस कंपनियों से मिले हैं। इन्हें अधिकारियों का भी पूर्ण संरक्षण है। इसके चलते ही केसीसी के मामलों में सबसे ज्यादा ट्रेक्टर एजेंसियां लाल हो गई हैं और किसान पैसे पटाने के बाद भी कंगाल और कर्जदार है। आलम यह है कि किसानों की जमीन तक गिरवी हो गई है लेकिन वे एक ट्रेक्टर के कर्ज से मुक्त नहीं हो पा रहे हैं। ऐसे में पुलिस और जिला प्रशासन की अनदेखी से परेशान किसान सेवा संघ के अध्यक्ष मासोराम पोडियामी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम बस्तर के किसानों की पीड़ा को एसडीएम तोकापाल के माध्यम से रखा है और संघ ने यह भावना जताई है कि यदि उनके साथ मोदी शासन में न्याय नहीं होगा तो बस्तर के हजारों किसान आमरण अंशन पर चले जाएंगे। किसान सेवा संघ ने मांग की है कि बस्तर में गत दस सालों में केसीसी के कितने प्रकरण बनाए गए हैं और इसमें कितने किसानों को उन्न्त खेती के नाम पर फाइनेंस किया गया है। इसमें किसानों ने अपनी अज्ञानता का हवाला देते दलालों, अधिकारियों, बैंक की साठगाठ, ट्रेक्टर एजेंसी व कृषि केन्द्रों की भूमिका और निजी फाइनेंस कंपनियों की भूमिका पर सवाल उठाया है। संघ के अध्यक्ष मासोराम पोडियामी ने मांग की है कि दस साल में किसानों की स्थिति और उन्हें मकडज़ाल में फंसाने वालों की स्थिति की जांच हो। यदि किसानों को न्याय मिलता है तो उनकी राशि वापिस की जाए और यदि किसानों के साथ षडयंत्र रचने वाले दोषी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ आर्थिक अपराध का मामला दर्ज हो।
इससे पहले भी किसान बोटी राम कर्मा के अधिकार की लड़ाई को सर्वदलीय मंच के माध्यम से लड़ा गया था। किसान बोटी ने एक ट्रेक्टर फाइनेंस करवाया था और इसके बाद वो बैंक, फाइनेंस कंपनी और ट्रेक्टर कंपनी तथा ट्राली के चक्कर में ऐसा फंसा कि करीब पांच लाख से अधिक की राशि पटाने के बाद भी वो आठ लाख का कर्जदार था। ऐसी स्थिति में किसान को कानूनी कार्रवाई की धमकी भी मिल रही थी। तंगहाल किसान ने अपने हाथ खड़े कर दिए। उसे अधिकार दिलाने के लिए मासोराम पोडियामी ने मुख्यालय में पांच दिन की भूख हड़ताल की थी। इस बीच कलेक्टर ने आदेश दिया था कि केसीसी प्रकरणों में खासकर ट्रेक्टर फाइनेंस को लेकर ब्लाक वार जानकारी ली जाएगी। बोटी को न्याय दिलाने के लिए पुलिस प्रशासन ने भी जिम्मेदारों की बैठक ली। आश्वासन दिया था कि एक सप्ताह में बोटी ही नहीं अन्य किसानों को भी मकडज़ाल से छुटकारा मिलेगा। केसीसी प्रकरण पर पूरे बस्तर में रोक लगाया गया लेकिन समय के साथ एक बार फिर खेल शुरू हो गया।
केसीसी प्रकरण की सच्चाई जो सामने आ रही थी इसके बाद जिला प्रशासन सख्ते में था। हालांकि पूरे बस्तर में इसकी जांच के लिए समय लगना वाजिब था लेकिन तत्कालीन एसपी ने बैंक, फाइनेंस कंपनी, ट्रेक्टर विक्रेताओं की अलग- अलग बैठक बुलाई थी। इस बैठक में स्पष्ट चेतावनी दी गई थी कि किसी भी किसान के अज्ञानता का फायदा नहीं उठाया जाएगा। किसानों को किए जाने वाले ट्रेक्टर फाइनेंस की जानकारी सार्वजनिक होगी। ऐसा हुआ नहीं।
तोकापाल में किसानों की आहूत बैठक के दौरान लोहण्डीगुड़ा में प्रस्तावित इस्पात संयंत्र का मामला भी अछूता नहीं रहा। प्रधानमंत्री को भेजे गए ज्ञापन में किसानों ने टाटा संयंत्र के नहीं लगने और समय बीतने की स्थिति में कानूनी पहलूओं को देखते प्रभावित किसानों की जमीन की वापसी की मांग को भी उठाया।

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