इस तरह हत्यारा साबित हुआ इंडियाज मोस्ट वांटेड फेम इलियासी

नई दिल्ली, किसने सोचा होगा कि जो व्यक्ति एक जमाने में लोगों को एक टीवी शो के जरिए मोस्ट वॉन्टेड अपराधियों से रूबरू करवाता था, वह खुद ही एक दिन हत्या जैसे संगीन अपराध का दोषी साबित हो जाएगा। ‘इंडियाज मोस्ट वॉन्टेड’ नाम के टीवी शो से देशभर में पहचान बनाने वाले टीवी एंकर सुहैब इलयासी को पत्नी का हत्यारा करार दिया गया है।
अदालत 20 दिसंबर को उसे अपराध की सजा सुनाएगी। टीवी पर एक घंटे के शो में अपराध की दास्तां बताने वाले सुहैब के जुर्म की कहानी साबित होने में 17 साल लग गए। हत्या का यह केस और उसमें आए मोड़, किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं। कहानी शुरू हुई सन 2000 में। तारीख थी दस जनवरी। सुहैब की पत्नी अंजू इलयासी को पूर्वी दिल्ली स्थित आवास से जख्मी हालत अस्पताल ले जाया गया था। पुलिस को दिए बयान में सुहैब ने बताया कि दोनों के बीच हुई कहासुनी के बाद अंजू ने आत्महत्या करने के मकसद से खुद को कई बार चाकू मारकर घायल कर लिया है।
अस्पताल में इलाज के दौरान अंजू को बचाया नहीं जा सका। दो ओटॉप्सी रिपोर्ट्स, फरेंसिक जांच और अंजू के माता-पिता के बयान से सुहैब की बात सही साबित हुई और पुलिस आत्महत्या की थिअरी पर आगे बढ़ी। मामले में मोड़ तब आया जब फरवरी में अंजू की बड़ी बहन रश्मि कनाडा से भारत आईं। पेश से टीचर रश्मि ही वह शख्स थीं जिनसे अंजू ने मौत से पहले आखिरी बार बात की थी। अंजू ने रश्मि को सुहैब की हरकतों के बारे में सबकुछ बताया था। रश्मि के बयान ने इस पूरे केस को पलटकर रख दिया। रश्मि ने पुलिस को एक डायरी भी दी। उसमें अंजू ने बहुत कुछ लिखा था।इसके बाद आत्महत्या की थिअरी संदेह के घेरे में आई गई। अंजू के माता-पिता और पुलिस को भी यकीन हो गया कि सुहैब ने ही अंजू की हत्या की है।
पुलिस ने नए सिरे से मामले की जांच शुरू की और 28 मार्च को दहेज के लिए हत्या, प्रताड़ना और सबूत मिटाने के जुर्म में इलयासी को गिरफ्तार कर लिया। उस समय पूर्वी दिल्ली एसीपी (ऑपरेशंस) रहे राजीव रंजन ने बताया, ‘ट्रायल कोर्ट ने सुहैब पर से हत्या का चार्ज हटा दिया था, हम उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए और हत्या का आरोप फिर शामिल करवाया। यह पूरा केस परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित था, लेकिन हमने जिस तरह कड़ियों को जोड़ा था, उससे सुहैब का अपराध साबित हो रहा था।’ केस से जुड़े एक अन्य पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘मेरा शुरू से मानना था कि इस केस में जैसा दिख रहा है वैसा है नहीं। मैं हत्या, आत्महत्या के कई मामलों की जांच कर चुका हूं और मेरे लिए यह यकीन करना मुश्किल था कि आत्महत्या के केस में शरीर पर एक से ज्यादा घाव हो सकते हैं।’
शिकायतकर्ता के वकील सतेंद्र शर्मा ने बताया इलयासी ने अंजू की हत्या को आत्महत्या साबित करने की बहुत कोशिश की, लेकिन जांच के दौरान अपने बयान में लगातार बदलाव करते रहने के चलते वह फंस गया। पुलिस ने मृतक की मां रुकमा सिंह की शिकायत पर शुरुआत में इलयासी के खिलाफ आईपीसी के तहत दहेज हत्या का मुकदमा दर्ज किया था। सिंह ने आरोप लगाया था कि टीवी के जरिए अच्छी खासी पहचान हासिल करने वाले इलयासी कथित रूप से कई तरह की अवैध गतिविधियों में शामिल था। वह उनकी बेटी को दहेज के लिए भी प्रताड़ित करता था, इसीलिए अंजू कनाडा जाकर रहना चाहती थी पर इलयासी को यह मंजूर नहीं था। इलयासी ने हाई कोर्ट में अर्जी दायर की थी और मामले में उसकी पत्नी की मौत की प्रकृति जानने के लिए नए सिरे से मेडिकल बोर्ड गठित करने के दिल्ली पुलिस के फैसले को चुनौती दी थी। हालांकि वह अर्जी खारिज हो गई। इसके बाद इलयासी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, लेकिन वहां से भी उसे कोई राहत नहीं मिली। बहरहाल, ट्रायल कोर्ट ने रेकॉर्ड में मौजूद सबूतों के आधार पर इलयासी को हत्या का दोषी करार दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *