नई दिल्ली, केंद्र सरकार ने डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए 1 जनवरी, 2018 से डेबिट कार्ड, भीम ऐप, यूपीआई से दो हजार तक होने वाले ट्रांजेक्शन पर किसी तरह की कोई फीस नहीं लगेगी। इससे छोटे कारोबारियों के अलावा उन लोगों को भी राहत मिलेगी जो डेबिट कार्ड से छोटे ट्रांजेक्शन करते हैं। डेबिट कार्ड स्वाइप कराने पर लगने वाले मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) शुल्क को अगले 2 साल तक सरकार वहन करेगी। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कैबिनेट बैठक के बाद फैसलों की जानकारी देते हुए कहा कि सरकार अपनी तरफ से बैंकों को इस शुल्क की भरपाई करेगी। इससे बैंकों के साथ-साथ आम लोगों पर भी किसी तरह का अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा। प्रसाद ने कहा कि इस साल अप्रैल से सितंबर के बीच कुल मिलाकर के 2.18 लाख करोड़ ट्रांजेक्शन हुए हैं। जीएसटी के लागू होने के बाद डिजिटल इको सिस्टम को तैयार करने में काफी मदद मिलेगी।
आरबीआई ने दिया था डिस्काउंट
देश में ज्यादा से ज्यादा लोग डेबिट कार्ड से खरीदारी कर सकें, इसके लिए बैंकिंग क्षेत्र के नियामक रिजर्व बैंक ने इस पर लगने वाले मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) को नए सिरे से तय किया है। अब 20 लाख रुपये तक का कारोबार करने वाले छोटे व्यापारी को अधिकतम 0.40 फीसदी जबकि इससे ज्यादा का कारोबार करने वाले व्यापारी को 0.90 फीसदी से ज्यादा एमडीआर नहीं चुकाना होगा। अगर ट्रांजेक्शन क्विक रिस्पांस (क्यूआर) कोड पर आधारित होगा तो एमडीआर में और कमी होगी। यह आदेश आगामी एक जनवरी से लागू होगा। एमडीआर को दूसरे शब्दों में ट्रांजेक्शन स भी कहते हैं जो कारोबारी पर लगता है। यह शुल्क कार्ड जारी करने वाली वित्तीय संस्था लेती हैं। बड़े दुकान, मॉल, होटल वगैरह इस फीस का बोझ खुद ही उठाते हैं, जबकि छोटे और मंझोले दुकानदार यह शुल्क ग्राहकों से वसूलते हैं। रिजर्व बैंक द्वारा डेबिट कार्ड पर देय एमडीआर के बारे में जारी एक पत्र के मुताबिक नई व्यवस्था में ट्रांजेक्शन की रकम के बजाए व्यापारी के कुल कारोबार को एमडीआर का आधार बनाया है।