हाईकोर्ट ने राजमाता गायत्री देवी के पोते-पोती को ही माना कानूनी वारिस

नई दिल्ली, दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि जयपुर घराने की राजमाता गायत्री देवी के दो पोते-पोती ही उनके कानूनी वारिस हैं। उत्तराधिकार से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने पहले के उस फैसले को खारिज कर दिया जिसमें जयपुर की दिवंगत महारानी के दो सौतेले बेटों को भी संपत्ति में हिस्सा देने की बात कही गई थी। गायत्री देवी के निधन के बाद उनकी संपत्ति पर दावेदारी को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। उनके पोते देवराज और पोती लालित्या ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए कहा कि उनके पिता जगत सिंह गायत्री देवी और महाराज सवाई मान सिंह के बेटे हैं। जगत सिंह का विवाह थाईलैंड की मॉम राजावेंगसे प्रियनंदना रांगसित से हुआ था। जगत सिंह ने निधन से पहले वसीयत तैयार की थी, जिसमें उन्होंने गायत्री देवी को अपनी सारी संपत्ति का स्वामित्व दे दिया था। गायत्री देवी का 29 जुलाई 2009 को निधन हो गया। बताया जाता है कि उन्होंने एक वसीयत छोड़ी थी, जिसमें वर्तमान में बैंकाक में रहने वाले उनके पोते-पोती देवराज और लालित्या को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था।
न्यायमूर्ति एस रवींद्रन भट ने यह आदेश उनके पोते-पोती की पुनर्विचार याचिका पर दिया है, जिसमें उन्होंने इसी अदालत के सन 2010 के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें अदालत ने गायत्री देवी के वारिस के रूप में दावेदारी करने वाले दो अलग आवेदनों को मंजूरी दी थी। पहली याचिका देवराज और लालित्या ने दायर की थी, जबकि दूसरी याचिका गायत्री देवी के सौतेले बेटे पृथ्वीराज सिंह और जयसिंह की थी। वह दोनों महाराज सवाई मानसिंह की दूसरी पत्नी के बेटे हैं। उनके पोते-पोती ने कहा था कि वह दिवंगत जगत सिंह की संतान हैं और सिंह की मौत गायत्री देवी से पहले ही हो गई थी। ऐसे में उनकी संपत्ति के हकदार वे ही हैं। हिंदू उत्तराधिकारी अधिनियम 1956 के तहत केवल वे ही प्रथम श्रेणी के कानूनी उत्तराधिकारी हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि पृथ्वीराज सिंह और जयसिंह सवाई मानसिंह की दूसरी पत्नी के बच्चे हैं और इसलिए उन्हें गायत्री देवी का उत्तराधिकारी नहीं माना जा सकता।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *