कैंसर और दिल की दवाएं 53 % सस्ती,51 दवाओं के दाम किये गए कम

नई दिल्ली,नरेंद्र मोदी सरकार ने कैंसर और ह्दय के मरीजों को राहत देते हुए 51 जरूरी दवाओं के दाम 53 प्रतिशत तक कम कर दिए हैं। इनमें त्वचा की बीमारी की दवाएं भी शामिल हैं। नेशनल फॉर्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) ने यह निर्णय लिया है। एनपीपीए समय-समय पर दवाओं का अधिकतम कीमत तय करती है।
एनपीपीए ने एक अधिसूचना जारी कर कहा, ड्रग्स (प्राइस कंट्रोल) अमेंडमेंट ऑर्डर-2013 के तहत 53 दवाओं की कीमतें 6 से 53 फीसदी तक घटाई गई हैं। इनमें 13 फॉम्यूलेशन का अधिकतम दाम तय किया गया है, जबकि 15 फॉम्युलेशन के अधिकतम दाम को संसोधित किया गया है। वहीं, 23 जरूरी फॉम्युलेशन की रिटेल कीमत को भी अधिसूचित किया गया है।
874 दवाओं के रेट घटाए गए
मोदी सरकार बनने के बाद एनपीपीए ने नेशनल लिस्ट ऑफ इसेंन्शियल मेडिसिन 2015 के तहत अब तक 874 दवाओं के रेट कम किये हैं। सितंबर तक 821 दवाओं के रेट एनपीपीए ने तय किए थे।
ये दवाएं सस्ती हुईं
जिन दवाओं के दाम कम किए गए हैं, उनमें मुख्य तौर पर कोलोन या रेक्टल कैंसर में काम आने वाला ओक्साप्लैटिन (इंजेक्शन 100 ग्राम), जापानी इंसेफेलेटाइटिस वैक्सीन, मीसल्स में काम आने वाली रूबेला वैक्सीन, अनेस्थेसिया में काम आने वाली अनेस्थेटिक सेवोफ्लूरेंस, फाइटोमेनाडिओन और टीवी की रोकथाम में काम आने वाली बीसीजी वैक्सीन शामिल हैं। वहीं, मलेरिया में काम आने वाली क्लोरोक्वीन, बैक्टीरियल इनफेक्शन में काम आने वाली कोफ्रियॉक्सिन, दर्द में काम आने वाली मॉर्फिन, ग्लूकोज इंजेक्शन और हार्ट डिजीज में काम आने वाली फ्यूरोसेमाइड भी शामिल हैं।
कंपनियों पर सख्ती
दवा निर्माता कंपनी अगर तय कीमत से ज्यादा वसूलेंगी तो एक्स्ट्रा कीमत ब्याज समेत जमा करानी पड़ेगी। कंपनियों को इन दवाओं की कीमतों में साल में 10प्रतिशत तक की ही बढ़ोतरी करने की इजाजत होगी।
ऐसे होता है बदलाव
एनपीपीए ड्रग्स (प्राइस कंट्रोल) ऑर्डर-2013 के तहत शेड्यूल-1 में आने वाली जरूरी दवाओं की कीमत तय करता है। सरकार जरूरत के हिसाब से जरूरी दवाओं की लिस्ट तैयार करती है, जिसमें समय-समय पर नई दवाओं को शामिल किया जाता है। लिस्ट को नेशनल लिस्ट ऑफ एसेन्शियल मेडिसिन (एनएलईएम) कहा जाता है। इन लिस्ट में शामिल दवाइयों को काफी किफायती कीमत पर दिलाने की जरूरत होती है, इसलिए समय-समय पर कीमतें कम की जाती हैं। इसका मकसद सभी ब्रांड की एक ही दवा की कीमत बराबर रखना है, जिससे कस्टमर्स अपनी सुविधा के अनुसार चुनाव कर सकें।

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