भोपाल के दोहरे हत्याकांड में अंडर वर्ल्ड डान अबु सलेम पर नहीं चलेगा केस- हाईकोर्ट

भोपाल, राजधानी के परवलिया इलाके में 2011 में हुए दोहरे हत्याकांड में अंडरवर्ल्ड डान अबु सलेम के खिलाफ भोपाल में चल रहे प्रोडक्शन वारंट को जबलपुर हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। इसके बाद सलेम के इस मामले में राजधानी आने और इस प्रकरण के चलने की संभावना खत्म हो गई है। जबलपुर हाईकोर्ट ने कहा है कि पुर्तगाल से भारत लाये गये अबु सलेम की प्रत्यपर्ण संधि में भोपाल का अकबर अफीस हत्याकांड शामिल नहीं था। इस कारण भोपाल की अदालत उसके खिलाफ प्रोडक्शन वारंट जारी नहीं कर सकती। प्रकरण में शुक्रवार को जबलपुर हाईकोर्ट के जस्टिस आलोक अग्रवाल ने भोपाल की एडीजे कोर्ट द्वारा जारी प्रोडक्शन वारंट को खारिज करने के आदेश दिये। इस मामले में अबु सलेम के वकीलों ने दलील दी थी कि भारत सरकार ने जब पुर्तगाल से प्रत्यर्पण संधि की थी, उस दौरान सलेम के खिलाफ नौ मामले चलाने की बात तय हुई थी और इन नौ मामलों में भोपाल का अकबर नफीस हत्याकांड शामिल नहीं था। अपने फैसले में हाईकोर्ट ने कहा कि जो प्रकरण प्रत्यर्पण संधि में शामिल नहीं था। उस पर कोई अदालत प्रत्यर्पित आरोपी के खिलाफ प्रोडक्शन वारंट जारी नहीं कर सकती। गौरतलब है कि भोपाल के एडीजे कोर्ट ने यह वारंट 15 फरवरी 2014 में जारी किया था। उस समय मुंबई की टाडा अदालत ने भी इस वारंट पर सलेम को भोपाल कोर्ट में पेश करने की अनुमति नहीं दी थी। दोहरे हत्याकांड मामले में जानकारी के अनुसार राजधानी पुलिस ने जून 2001 में परवलिया क्षेत्र के झिरनिया इलाके से दो युवकों की लाश बरामद हुई थी। इन लाशों की शिनाख्त अकबर और नफीस नामक युवकों के रूपमें हुई। उस समय मामले की जांच क्राइम ब्रांच ने की थी और यह खुलासा किया था कि दोनों मृतक शार्प शूटर थे जिन्हें अबु सलेम ने अपने पुरानी साथी सिराज की हत्या के लिए भोपाल भेजा था। सिराज पर अबु सलेम और मोनिका बेदी का भोपाल में फर्जी पासपोर्ट बनवाने का आरोप था। बाद में सिराज सरकार गवाह बन गया। अबु सलेम को शक था कि सिराज ने उसकी मुखबिरी की है। लेकिन जब सिराज पर हमला नहीं हुअ तब सलेम को शक हुआ कि शूटर्स अकबर और नफीस भी सिराज से मिल गये हैं। जांच के आधार पर अबु सलेम और उसने साथियों उत्तरप्रदेश के सीपी राय, इम्तियाज और सादिक को आरोपी बनाया गया था। उस समय सलेम पुर्तगाल में ही था। हालांकि दोहरे हत्याकांड में भोपाल की एक अदालत ने प्रकरण के बाकी आरोपियों को नवंबर 2011 में दोषमुक्त कर दिया गया था। लेकिन अबु सलेम के खिलाफ के चालू था। यहां यह भी गौरतलब है कि मुंबई बम धमाकों में अबु सलेम को उम्र कैद की सजा हुई है।

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