सतना, सतना जिले में स्वास्थ महकमे की जमीनी हकिकत काफी दुखदायक और बदहाल हैं। यहाँ विगत 40 दिनो में 14 बच्चे काल के गाल में समां गए है। और प्रशासन अनजान बना हुआ है,सतना जिले का स्वास्थ अमला पूरी तरीके से बीमार चल रहा हे। यही वजह है कि आमजन मौत से जंग लड रहे है। मध्यप्रदेश के सतना जिला अंतर्गत बिरसिंहपुर तहसील के बीरपुर पंचायत में 40 दिनों के भीतर 14 बच्चो की मौत बुखार से हो गई। बुखार से मरने वालो में डेढ साल से 17 साल के बच्चे शमिल है। बिरपुर गाँव पूरी तरीके से आदिवासी बहूल्य गॉव है। जो जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर है। यहॉ नजदीकि प्राथमिक स्वास्थ केन्द्र कारीगोही है। जहॉ डॉक्टर तो दूर चिकित्सा सेवा के नाम पर कोई अमला नही है। हमेशा स्वास्थ केन्द्र पर ताला लगा रहता है। सरकार के बेहतर स्वास्थ व्यवस्था के वायदे को मूॅह चिढा रहा है। 40 दिन में बुखार से 14 बच्चो की मौत का सहज यह अंदाजा लगया जा सकता है। अगर प्राथमिक स्वास्थ सेवाएॅ होती शायत यह मौत के ऑकडे आज चिंता कारण ने बनते। बिरपुर पंचायत के अंतर्गत 8 गॉव आदिवासी बहूल्य गॉव की तस्वीर है। ये सभी गॉव कारीगोही प्राथमिक स्वास्थ केन्द्र से महज 5 किलोमीटर दूर है। जहॉ स्वास्थ केन्द्र में ताला जडा रहता है। मरने वाले 14 बच्चो में 6 साल की उम्र से 35 साल के बच्चे है। जिनकी मौत की वजह बुखार और मलेरीया है। वैसे तो स्वास्थ विभाग द्वारा पूरे प्रदेश में मलेरीया, फयलेरीया दिवस मनाया जाता है और जागरूकता के नाम पर करोडो रूपए पानी की तरह बहा दिए गए लेकिन ग्रामीण ईलाको में हो रही मौत स्वास्थ विभाग की एक बडे भ्रष्टाचार की ओर इशारा कर रही है।
ग्रामीण इलाकों में हो रही मौत से आम लोगो में भले ही मौत की दहशत हो। लेकिन जिले के जिम्मेदार अधिकारी बेखौफ बेपरवाह है। जो इतनी बडी घटना के बाद नींद से जागा है और अब पूरे अमले की सजगता की बात कर रहा है। मुख्यचिकित्सा अधिकारी मलेरीया विभाग और तमाम स्वास्थ विभाग हरकत में आने की बात कह रहा है। बहरहाल सतना जिले की महज एक पंचायत बीरपुर का मामला है। जिसमें पूरे जिले में लापरवाह स्वास्थ व्यवस्था की पोल खोल दी है। जिले भर में इस व्यवस्था के चलते दहशत का आलम है। अगर सरकार की किताबो के मुताबिक स्वास्थ व्यवस्थाएं होती तो शायद यह मौत का ऑकडा कोशो दूर होता।
सतना जिले में बुखार और मलेरिया से 40 दिनो में 14 बच्चों की मौत
