मनुआभान टेकरी पर 12 एकड़ क्षेत्र में बनेगा तीन मंजिला भारत माता मंदिर, 21 करोड़ आएगी लागत

भोपाल, मनुआभान टेकरी पर करीब 21 करोड की लागत से भारतमाता का मंदिर बनाया जाएगा। वाराणसी के बाद यह देश का दूसरा भारतमाता का मंदिर होगा। इस भव्य तीन मंजिला (18 मीटर ऊंचा) मंदिर का निर्माण 12 एकड़ क्षेत्र में होगा। गर्भगृह में भारत माता की सिंह पर सवार विशाल प्रतिमा स्थापित होगी। मुख्य द्वार के सामने भारत का नक्शा रहेगा। मंदिर के दोनों ओर किलेनुमा दीवार होगी। हर दीवार में तोप लगाई जाएंगी। परिसर में 100 फीट ऊंचा तिरंगा लहराएगा। एक एकड़ क्षेत्रफल में पार्क बनेगा, इसमें रंगीन फव्वारों के साथ झरना भी होगा। जैन श्वेतांबर मंदिर के पास 100 चार पहिया और 150 दोपहिया वाहनों के लिए पार्किंग होगी। मंदिर परिसर के पीछे की ओर चार एकड़ से अधिक क्षेत्र में मुक्ताकाश मंच होगा। जिसमें थिएटर के साथ राष्ट्रभक्ति से जुड़े समारोह होंगे। यह भव्य मंदिर नगर निगम द्वारा तैयार करवाया जा रहा है।
देश का पहला भारत माता मन्दिर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ (वाराणसी) के प्रांगण में है। इसका निर्माण डॉक्टर शिवप्रसाद गुप्त ने कराया था और उद्घाटन सन 1936 में महात्मा गांधी द्वारा किया गया था। इस मन्दिर में किसी देवी-देवता का कोई चित्र या प्रतिमा नहीं है बल्कि संगमरमर पर उकेरी गई अविभाजित भारत का त्रिआयामी भौगोलिक मानचित्र है। इस मानचित्र में पर्वत, पठार, नदियां और सागर सभी को बखूबी दर्शाया गया है।मंदिर निर्माण में धौलपुर (राजस्थान) के लाल पत्थर और सफेद संगमरमर लगेगा। राज्य सरकार भारत माता परिसर के लिए पहले ही जमीन आरक्षित कर चुकी है, अब आवंटन होना बाकी है। निगम अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही प्रमुख सचिव राजस्व को जमीन आवंटन के लिए पत्र लिखा जाएगा, ताकि परिषद में प्रस्ताव पारित होते ही काम शुरू किया जा सके। निगम के नगरयंत्री ओपी भारद्वाज ने बताया कि निर्माण कार्य के लिए एजेंसी का चयन कर लिया गया है। निगम ने इसके लिए 24 करोड़ की लागत तय की थी, इस पर एमएस बिल्डकॉन ने सबसे कम 21 करोड़ का ऑफर दिया था। जिस पर एमएस बिल्डकॉन का चयन किया गया है। अब इसकी मंजूरी के लिए आगामी परिषद की बैठक में प्रस्ताव रखा जाएगा। वर्क आर्डर जारी होने के बाद डेढ़ साल में काम पूरा होगा। परिसर में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की प्रतिमाएं लगाई जाएंगी। मंदिर परिसर में एक संग्रहालय होगा, जिसमें इन सेनानियों की गौरव गाथा का विवरण रहेगा।

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