व्यापारी और किसानों के बीच विवाद गहराया, भावांतर भुगतान योजना में कम खरीदी का आरोप

भोपाल,राज्य में व्यापारियों और किसानों के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। ताजा विवाद मुख्यमंत्री भावांतर भुगतान योजना के तहत शुरू हुई खरीदी को लेकर है। ताजा विवाद का कारण व्यापारियों द्वारा औसत दर से कम पर खरीदी करने के साथ नकद भुगतान नहीं किया जाना माना जा रहा है। वर्तमान में भोपाल, राजगढ़, गुना, आगर-मालवा, नरसिंहपुर के बाद अब विदिशा और हरदा में विवाद सामने आए हैं। उधर, सरकार को उड़द की खरीदी में गड़बड़ी की भी आशंका है। इसके मद्देनजर पांच जिलों की 14 मंडियों पर नजर रखने के निर्देश टास्क फोर्स को दिए गए हैं। सूत्रों के मुताबिक तिल को छोड़कर भावांतर भुगतान योजना में शामिल सभी सातों फसलों के भाव समर्थन मूल्य से 300 रुपए से लेकर 3000 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक कम चल रहे हैं। अभी तक 35 से 36 हजार सौदे सोयाबीन के हुए हैं। इनमें औसत 26 रुपए प्रति क्विंटल का भाव किसानों को मिला है। सागर, विदिशा, रायसेन, गुना और नरसिंहपुर की 14 मंडियों में उड़द की खरीदी 16 सौ 98 रुपए से लेकर 23 सौ 78 रुपए क्विंटल तक हुई है। इसे देखते हुए आशंका जताई जा रही है कि यहां व्यापारी कहीं किसानों के साथ खेल तो नहीं कर रहे हैं।
इसके मद्देनजर कृषि विभाग ने इन सभी मंडियों पर विशेष नजर रखने के निर्देश टास्क फोर्स को दिए हैं। सागर की खुरई और बीना मंडी में प्रति क्विंटल 21 सौ 57 और 22 सौ 66 रुपए में खरीदी होने पर प्रमुख सचिव कृषि डॉ. राजेश राजौरा ने कलेक्टर से पूछताछ की। जब उनसे इसकी वजह पूछी गई तो उन्होंने बताया कि वे स्वयं मंडी गए थे और वहां पड़ताल की तो पता चला है कि उड़द की गुणवत्ता कमजोर थी। इसके कारण व्यापारियों ने बोली आगे नहीं बढ़ाई। उधर, सरकार की ओर से बार-बार समझाइश दिए जाने के बावजूद ज्यादातर व्यापारी नकद भुगतान करने के लिए तैयार नहीं है। 10 से 20 हजार रुपए ही नकद दिए जा रहे हैं। इसके बाद सौदे की बाकी रकम एक माह बाद की तारीख के चेक के जरिए दी जा रही है। आष्टा मंडी ही ऐसी है, जहां पचास हजार रुपए तक नकद भुगतान हो रहा है।

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