झारखण्ड के देवघर में भूख से वृद्ध रूपलाल मरांडी की मौत

रांची,झारखंड में भूख से होने वाली मौतों का सिलसिला जारी है। सिमडेगा और धनबाद के बाद इस बार देवघर के मोहनपुर इलाके के भगवानपुर गांव में एक शख्स की मौत की खबर है।झारखंड में इन दिनों हर राजनेता देवघर जिले के भगवानपुर गांव जाता दिख रहा है। वहां एक वृद्ध रूपलाल मरांडी की मौत हो गई है। सरकार और प्रशासन कह रहा है कि मरांडी की मौत बीमारी और बुढ़ापे की वजह से हुई है, जबकि विपक्ष का कहना है कि सरकार सच नहीं बोल रही और मरांडी की मौत भूख और गरीबी से हुई है। मरांडी की मौत सोमवार को हुई थी। मंगलवार को जिला प्रशासन द्वारा एक जांच दल का गठन हुआ। उसने अपनी रिपोर्ट में मंगलवार शाम को ही कह दिया कि मौत बुढ़ापे और बीमारी के कारण हुई। मृतक के परिवार के इस दावे को गलत बताया गया कि राशन से उन्हें दो महीने से सामान नहीं मिला था। जांच दल का कहना है कि पिछले महीने तक राशन से अनाज उठाया गया है। परिवार वाले पोस्टमार्टम के लिए तैयार नहीं हुए, इसलिए यह कहना गलत है कि मौत भूख से हुई। वहीं परिवार वालों खासकर मृतक की बेटी मलोदि मरांडी का कहना है कि मौत भूख से हुई, क्योंकि घर में खाने के लिए कुछ नहीं था। पिछले महीने जब राशन लाने गई, तब उन्हें अंगूठा का निशान लेने के बाद डीलर ने यह कहकर लौटा दिया कि निशान नहीं मिले, इसलिए अनाज नहीं दे सकता, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में अनाज लिया हुआ है। इसका मतलब या तो डीलर झूठ बोल रहा है या मलोदि के बातों में सच्चाई नहीं। लेकिन इस मौत के बाद सरकार की तरफ से आनन-फानन में मृतक के परिवार वालों को 20 हजार रुपये का अनुदान और अनाज दोनों दिया गया। अब जहां विपक्ष के नेता परिवार वालों से मिल रहे हैं, वही सतारूढ़ दल के नेता भी गांव का दौरा कर रहे हैं। इनका आरोप है कि विपक्ष राजनीति कर रहा है। इस घटना के बाद सब मान रहे हैं कि भले मृतक बीमारी से ग्रसित हो, लेकिन उसके पास खाने को अनाज नहीं था।

भूख से नहीं, स्वाभाविक हुई थी मौत: सरयू राय
इधर,झारखंड के खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने कहा कि देवघर में हुई मौत का भूख से कोई लेना-देना नहीं है। उनके मुताबिक विभाग की चार सदस्यों की टीम ने देवघर में जाकर पड़ताल की, जिसमें यह पाया गया कि यह एक स्वाभाविक मौत है। हालांकि उन्होंने कई लोगों के राशन कार्ड नहीं होने पर सफाई देते हुए कहा कि यह सतत प्रक्रिया है और मैंने इस मामले में विभाग से जानकारी मांगी है। जिन्हें राशन नहीं मिलता है, उन्हें पूरा मुआवजा मार्केट रेट के मुताबिक देंगे। इस मामले में मंत्रालय बिल्कुल ओपन है, अगर कोई मौत होती है तो उसको सीधे भूख से जोड़ देना ठीक नहीं है। सरयू राय के मुताबिक सिमडेगा की बात अगर न करें तो झरिया और देवघर में अनाज की कमी से मौत नहीं हुई है। झारखंड में भोजन का अधिकार कानून सही तरीके से काम कर रहा है। हालांकि उन्होंने माना कि राज्य में कुपोषण है। सरयू राय ने कहा कि उन्होंने पीडीएस के दुकानदारों को एक एक्स्ट्रा पहचान पत्र रजिस्टर्ड रखने करने को कहा है। भारत सरकार की एक गाइडलाइन है कि कोई भी पहचान पत्र से अनाज ले सकते हैं।उन्होंने माना कि विभाग के पास मैन पवार की कमी है। हमारे यहां चार सौ पद रिक्त हैं। सरयू राय के मुताबिक मौत तो होती रहेगी, इसे कोई रोक नहीं सकता, लेकिन यह जांच का विषय है कि कौन भूख से मर रहा है? सरयू ने कहा कि सिमडेगा में 11 साल की संतोषी की मौत का मामला भूख से मौत की घटना का विषय हो सकता है, झरिया में 40 साल के रिक्शा चालक बैजनाथ के पास राशन कार्ड नहीं था, लेकिन देवघर में रूपलाल के परिवार वालों ने बीते महीने ही राशन बनवाया था।

 

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