रिपोर्ट में दावा किम जोंग उन बना रहा है प्लेग और चेचक बम का जखीरा

वॉशिंगटन,नॉर्थ कोरिया अपने परमाणु कार्यक्रम के साथ-साथ बायलॉजिकल हथियार भी विकसित कर रहा है। एक नई रिपोर्ट में इस बात को लेकर आगाह किया गया है। अमेरिकी थिंकटैंक बेल्फर सेंटर द्वारा की गई स्टडी में कहा गया है कि संभव है कि प्योंगयांग अपना जैविक हथियार बना रहा हो। नॉर्थ कोरिया के परमाणु हथियारों को लेकर पूरी दुनिया चिंतित है। इस रिपोर्ट अगर सही है तो खतरा और भी बढ़ सकता है। नॉर्थ कोरिया की हथियारों से जुड़ी टीम में काम कर चुके लोगों के बयानों के आधार पर कहा गया है कि यह काम 1960 के दशक में ही शुरू हो गया था। कोरिया युद्ध के बाद 1950 और 1953 के बीच हजारों लोगों की मौत हैजा, टाइफस, टाइफाइड और चेचक के प्रकोप से हो गई थी। उस समय नॉर्थ कोरिया की सरकार ने इसके लिए अमेरिका के जैविक हथियारों को जिम्मेदार ठहराया था। मलयेशिया में फरवरी में घातक नर्व एजेंट वीएक्स से किम जोंग-उन के भाई किम जोंग-नाम की हत्या के बाद इसको लेकर आशंका बढ़ी थी। दरअसल माना यह जा रहा है कि यह घातक नर्व एजेंट प्योंगयांग के ही बायो-टेक्निकल इंस्टिट्यूट से आया था। यहां का रिसर्च सेंटर भी नॉर्थ कोरिया की सेना ही चलाती है। वहां अक्सर तानाशाह किम भी आता रहा है। 2015 में किम के रिसर्च सेंटर का दौरा करने की तस्वीर सामने आई थी। आशंका जताई जा रही है कि नॉर्थ कोरिया कई अलग-अलग बीमारियां पैदा करने की दिशा में काम कर रहा है। वह जैविक हथियार भी बनाने में जुटा है, जिसे अमेरिका प्लेग, ऐंथ्रेक्स, स्मॉलपॉक्स और रक्तस्रावी बुखार की तरह घातक मान रहा है। दक्षिण कोरिया की खुफिया एजेंसियों का कहना है कि नॉर्थ कोरिया में कम से कम तीन बायलॉजिकल वेपंज प्रॉडक्शन यूनिट हैं और कई रिसर्च सेंटर भी उससे जुड़े हैं।
इस रिपोर्ट के लेखक का कहना है कि दुनिया के ज्यादातर देशों का फोकस नॉर्थ कोरिया के परमाणु कार्यक्रम पर है, ऐसे में उसके बायलॉजिकल प्रोग्राम पर भी ध्यान केन्द्रित करने की जरूरत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी नॉर्थ कोरिया का कार्यक्रम कितनी तेजी से या किस स्तर पर चल रहा है, इसकी जानकारी नहीं है। हाल ही में दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्रालय की ओर से कहा गया था कि प्योंगयांग 13 तरह के बायलॉजिकल एजेंट्स को 10 दिन के भीतर हथियार के तौर पर तैयार करने की स्थिति में पहुंच गया है। यह बायलॉजिकल एजेंट्स ऐंथ्रेक्स, प्लेग की तरह अपने टारगेट को प्रभावित कर सकते हैं। यह भी साफ नहीं है कि नॉर्थ कोरिया इन हथियारों का किस तरह से इस्तेमाल करेगा।

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