कुशीनगर,उत्तर प्रदेश के कुशीनगर से होकर गुजरने वाली नारायणी नदी में पानी की मात्रा काफी कम हो जाने के बाद भी अहिरौलीदान से विशुनपुरा तक बने 8.2 किलोमीटर लंबे गाइड बांध पर खतरा मंडराने लगा है। बिहार सरकार की तरफ से 62 गांवों की सुरक्षा के लिए बनवाए गए इस बांध में दरार पड़ गई है। कई जगह दिख रही दरारों की वजह से लोग चिंतित हैं।
जानकारी के अनुसार बीते मार्च महीने मे बिहार सरकार की तरफ से लगभग 62 गांवों को नारायणी नदी के कटान से बचाने के लिए कुशीनगर जिले के अंतिम छोर अहिरौलीदान से विशुनपुरा (बिहार) तक 8.2 किमी लम्बे गाइड बांध का निर्माण 62.8 करोड की लागत से कराया गया। इस बॉध के निर्माण के लिए 298 किसानों की भूमि सरकारी दर पर अधिग्रहित की गई थी। इस साल नारायणी नदी का सर्वाधिक दबाव इस गाइड बांध पर ही था।
इसके कारण यूपी और बिहार के सिंचाई विभाग के अभियंताओं को बांध बचाने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी थी। अब नदी का जलस्तर बहुत कम होने पर बाढ़ का खतरा तो खत्म हो गया है लेकिन बंधे पर पड़ी दरारें चिंता का विषय बन गयी है। लोगों का कहना है कि बांध में पड़ी इन दरारों की वजह से आवागमन कठिन हो गया है। दिक्कत यह है कि जलस्तर बढ़ा तो यह दरारें बंधे की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती हैं। जेके सिंह, संतोष पाठक, सुजीत यादव, अरविंद सिंह पटेल, अवधकिशोर, सिंहासन, महातम आदि ने बिहार के सिंचाई विभाग के अभियंताओं से इस बंधे की मरम्मत की मांग की है।
इस संबंध में गोपालगंज के सिंचाई विभाग के कार्यपालक अभियंता एनके सिंह का कहना है कि क्षतिग्रस्त गाइड बांध की मरम्मत के लिए शासन प्रस्ताव भेजा गया है। धन आवंटित होते ही कार्य शुरू करा दिया जाएगा।
नारायणी पर बने गाइड बांध पर मंडराने लगा खतरा
