नई दिल्ली,सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की मोदी सरकार से कहा कि इस बात पर विचार करे कि क्या ऑन बोर्ड डायग्नोस्टिक (ओबीडी) स्कैनरों को दिल्ली जैसे ए श्रेणी के शहरों में वाहन प्रदूषण जांच केंद्रों में १ दिसम्बर से आवश्यक बनाया जा सकता है। ओबीडी ऑटोमोबाइल का शब्द है जिसका मतलब वाहन की खुद से जांच एवं इस बारे में जानकारी देने की क्षमता है। ओबीडी टू को इस तरह से डिजाइन किया है कि कार मालिक को किसी भी खराबी के बारे में स्वत: सूचना मिल जाती है जिसमें ब्रेक की समस्याएं या उत्सर्जन नियंत्रण प्रणाली में समस्या शामिल है। न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने सोलीसीटर जनरल रणजीत कुमार के समक्ष यह सवाल रखा। वह इस मुद्दे पर निर्देश प्राप्त करेंगे क्योंकि इसमें प्रदूषण नियंत्रण केंद्र (पीयूसी) के मालिकों द्वारा निवेश की जरूरत होगी। पीठ ने कुमार से पूछा, ‘‘आपके पास ए, बी, सी, डी और अन्य श्रेणियों के शहर हैं। क्या शुरूआत में हम एक दिसम्बर २०१७ से ए श्रेणी के शहरों में पीयूसी केंद्रों के लिए ओबीडी स्कैनर आवश्यक बना सकते हैं।
पीयूसी केंद्रों का ब्यौरा देते हुए सोलीसीटर जनरल ने कहा कि दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ३०२० पेट्रोल स्टेशन और १०८३ पीयूसी केंद्र हैं। पीठ दिल्ली-एनसीआर में पीयूसी कार्यक्रम के आकलन पर पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) की रिपोर्ट पर विचार कर रहा था। सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि भारत में ओबीडी स्कैनर मौजूद हैं और पीयूसी केंद्रों पर इनका इस्तेमाल किया जा सकता है। मामले में सहयोग कर रहे वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा, ‘‘पूरी दुनिया में प्रौद्योगिकी की उपलब्धता को देखते हुए पीयूसी आकलन के मानकों को कड़ा किया जा रहा है। आज हमारे पास काफी कमजोर मानक हैं।’’