जय शाह ने दर्ज कराया मानहानि केस, अगली सुनवाई11 को 

अहमदाबाद,भाजपा प्रमुख अमित शाह के बेटे जय ने एक खबर को लेकर न्यूज पोर्टल ‘द वायर’ के खिलाफ यहां एक मेट्रोपोलिटन अदालत में आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया। इस खबर में दावा किया है कि वर्ष २०१४ में पार्टी के सत्ता में आने के बाद जय की कंपनी के कारोबार में कथित रूप से बेतहाशा वृद्धि हुई। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट एसके गढ़वी ने आपराधिक दंड संहिता की धारा २०२ (यह निर्णय लेने के लिए मामले की जांच करना कि सुनवाई के लिए पर्याप्त आधार है या नहीं) के तहत मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं।  शाह ने अपनी याचिका में ‘‘शर्मनाक, बेहूदा, भ्रमित, अपमानजनक, निंदात्मक और कई अपमानजनक टिप्पणियों वाले एक लेख के जरिए शिकायतकर्ता की मानहानि करने और उसकी प्रतिष्ठा बिगाड़ने के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई’’ की अपील की। इस मामले में सात प्रतिवादी लेख की लेखिका रोहिणी सिंह, न्यूज पोर्टल के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वद्र्धराजन, सिद्धार्थ भाटिया और एमके वेणू, प्रबंध संपादक मोनोबिना गुप्ता, पब्लिक एडिटर पामेला फिलिपोस और ‘द वायर’ का प्रकाशन करने वाली गैर लाभकारी कंपनी फाउंडेशन फॉर इंडीपेंडेंट जर्नाfलज्म हैं।- क्या है मामलाभारतीय दंड संहिता की धारा ५०० (मानहानि), १०९ (उकसाना), ३९ (जानबूझकर गंभीर नुकसान पहुंचाना) और १२० बी ( आपराधिक षडयंत्र) के तहत केस दर्ज किया है। शाह ने कहा कि न्यूज पोर्टल ने पहले एक लेख प्रकाशित किया जिसे बाद में मौजूदा स्वरूप में ‘‘संपादित और अलग शब्दों में पेश किया। आरोपी ने लेख के मूल रूप के स्थान पर प्रकाशित मानहानिजनक लेख का मनगढंत, अलग शब्दों में पेश किया। संपादन करने के लिए साजिश रची। शाह ने दावा किया कि उनकी ‘मानहानि करने के लिए यह पूर्व निर्धारित साजिश’ थी। उन्हें ‘जवाब देने के लिए पर्याप्त समय नहीं’ दिया और उनके जवाब के आधार पर आगे कोई खोजबीन नहीं की गई।  लेख में वित्तीय वर्ष २०१५-१६ में उनकी कंपनी को हुआ नुकसान नहीं दिखाया गया और इसी वित्तीय वर्ष के लिए उनके कुल लाभ और टर्नओवर को ‘‘जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण रूप से’’ दो अलग-अलग पैराग्राफ से जोड़ा गया जिसका आपस में कोई जुड़ाव नहीं था। द वायर ने अपनी खबर में कहा है कि जय शाह की कंपनी के टर्नओवर में वर्ष २०१४ में भाजपा के सत्ता में आने के बाद बेतहाशा वृद्धि देखी गई। हालांकि, जय शाह ने आरोप खारिज करते हुए इस खबर को ‘‘झूठा, अपमानजनक और मानहानिजनक’’ बताया। अदालत ने कहा कि वह मामले की शुरूआती जांच पूरी होने के बाद प्रतिवादियों को सम्मन जारी करेगी। न्यायिक जांच के लिए अगली सुनवाई ११ अक्तूबर को होगी। उस दिन लेख के प्रकाशन के बारे में सबसे पहले जय शाह को सूचना देने वाले दो गवाह अपने बयान दर्ज करा सकते हैं। शाह ने अभी प्रतिवादियों के खिलाफ दीवानी मानहानि का केस दायर नहीं किया है। उन्होंने पहले घोषणा की थी कि वह १०० करोड़ रु की दीवानी मानहानि का केस भी दायर करेंगे। ‘गोल्डन टच ऑफ जय अमित शाह’ शीर्षक वाले इस लेख के प्रकाशित होने के बाद राजनीतिक तूफान पैदा हो गया। इस मामले में कांग्रेस ने जांच की मांग की है जबकि भाजपा ने लेख को मानहानिजनक बताया है।

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