घाटी के लोगों को भावनात्मक रूप से खोया,कश्मीर मसले पर पाक तीसरा पक्ष -यशवंत

नई दिल्ली,वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने कश्मीर मसले को लेकर कहा है कि भारत ने घाटी के लोगों को भावनात्मक तौर पर खो दिया है। पाकिस्तान कश्मीर मसले में जरूरी तीसरा पक्ष है, जिससे इनकार नहीं किया जा सकता। सिन्हा की यह टिप्पणी बीजेपी नेतृत्व को नागवार गुजर सकती है। देश की अर्थव्यवस्था की बदहाली पर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को घेरने के बाद यशवंत सिन्हा ने अब कश्मीर के मुद्दे पर मोदी सरकार पर निशाना साधा है।
सिन्हा ने कहा, ‘‘मैं जम्मू-कश्मीर में बड़े पैमाने पर लोगों के अलगाव को देख रहा हूं। यह ऐसी चीज है जो मुझे बहुत कचोटती है। हमने उन लोगों को भावनात्मक तौर पर खो दिया है। आपको यह समझने के लिए घाटी का दौरा करना पड़ेगा कि उनका हम पर भरोसा नहीं रहा। ’’यशवंत सिन्हा एक नागरिक समाज संगठन ‘कंसर्ड सिटिजंस ग्रुप’ (सीसीजी) का नेतृत्व करते हैं, जिसने हाल के समय में कई बार घाटी का दौरा किया है और विभिन्न पक्षों से संवाद किया है ताकि दशकों पुराने कश्मीर मुद्दे का स्थायी समाधान तलाशा जा सके। सीसीजी में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) एपी शाह, मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त जूलियो रिबेरो, पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्ला, खुफिया एजेंसी ‘रॉ’ के पूर्व प्रमुख एएस दुलत, जानीमानी समाज सेविका अरुणा रॉय और मशहूर लेखक एवं इतिहासकर रामचंद्र गुहा सहित कई अन्य गणमान्य लोग शामिल हैं। सिन्हा ने कहा मैं यह भी कहूंगा कि पाकिस्तान, दुर्भाग्यवश, जम्मू-कश्मीर में एक तीसरा जरूरी पक्ष है और इसलिए यदि आप अंतिम समाधान चाहते हैं तो हमें किसी न किसी वक्त पाकिस्तान को इसमें शामिल करना होगा। हां, आप इसे हमेशा के लिए नहीं खींच सकते।
बीजेपी नेता ने नियंत्रण रेखा पर लोगों के मारे जाने पर रोक लगाने की अपील की, क्योंकि वहां कोई भी युद्ध नहीं जीतने जा रहा। उन्होंने कहा, ‘‘नियंत्रण रेखा पर लोगों के मारे जाने पर रोक लगनी चाहिए, क्योंकि वहां कोई युद्ध नहीं जीत रहा। नियंत्रण रेखा अच्छी तरह परिभाषित है और कारगिल में यह साबित हो गया कि दुनिया इस मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ नहीं बल्कि हमारे साथ है। आप नियंत्रण रेखा को बदल नहीं सकते, तो क्यों न नियंत्रण रेखा पर शांति कायम करने के प्रयास किए जाएं। पाकिस्तान के साथ हमारे तमाम मतभेद के बाद भी नियंत्रण रेखा पर शांति कायम हो सकती है। सिन्हा ने दावा किया कि उन्होंने दस महीने पहले कश्मीर मुद्दे पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का समय मांगा था, लेकिन उन्हें दुख है कि मिलने का समय नहीं मिल सका। पूर्व वित्तमंत्री ने कहा मैं दुखी हूं। मैं निश्चित तौर पर दुखी हूं। आप मिलने का समय मांगते हैं, दस महीने बीत गए। मैं आपको बता दूं कि जब से मैं सार्वजनिक जीवन में आया हूं, राजीव गांधी से लेकर भारत के किसी प्रधानमंत्री ने मुझे मिलने के लिए समय देने से मना नहीं किया। किसी प्रधानमंत्री ने यशवंत सिन्हा को नहीं कहा कि मेरे पास आपके लिए समय नहीं है। उन्होंने कहा यह (मोदी) मेरे अपने प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने मेरे साथ ऐसा व्यवहार किया। ऐसे में यदि कोई मुझे फोन करे और कहे कि कृपया मेरे पास आएं, तो माफ करें, वक्त निकल चुका है। मुझसे बुरा बर्ताव किया गया।
सिन्हा ने जेटली की इस टिप्पणी के लिए भी उन्हें निशाने पर लिया कि अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में उन्हें वित्त मंत्री के पद से हटाकर विदेश मंत्री बनाना ‘‘पदावनति’’ थी। उन्होंने कहा जेटली यह कैसे कह सकते हैं कि वित्त से हटाकर विदेश मंत्रालय देना मेरे लिए पदावनति थी? क्या जेटली जी यह कहना चाहते हैं कि मौजूदा विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पूरी तरह महत्वहीन प्रभार संभाल रही हैं? कोई इस पर यकीन नहीं करने वाला।

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