नागपुर, विजयादशमी के अवसर पर नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि हम पहले से ही अवैध बांग्लादेशी शरणार्थियों की समस्याओं से जूझते आ रहे हैं और अब रोहिंग्या लोग देश में घुस आए हैं। अगर हम रोहिंग्या समुदाय के लोगों को शरण देंगे तो वे न सिर्फ हमारे रोजगार के ढांचे पर दबाव पैदा करेंगे, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा करेंगे। बता दें कि आरएसएस के नागपुर मुख्यालय में विजयदशमी का कार्यक्रम धूमधाम से मनाया जा रहा है। इसमें संघ प्रमुख ने रोहिंग्या मुसलमानों के मुद्दे पर अपनी राय जाहिर करके सरकार पर दबाव बना दिया है। जानकारों को अनुमान था कि वे आरक्षण पर भी कोई बयान देंगे, लेकिन इस पर मोहन भागवत ने कुछ नहीं कहा। हालांकि उन्होंने हिंदुओं को जातियों के नाम पर बांटने की राजनीति पर जरुर प्रहार किया। उन्होंने यह भी कहा कि गाय के प्रति आस्था रखने वाले लोग हिंसा का मार्ग नहीं अपनाते। उन्होंने कहा कि देश केरल और बंगाल के हालातों के बारे में जानता है। जिहादी ताकतें वहां सक्रिय हैं। हालांकि लोग विरोध कर रहे हैं, लेकिन सरकार अपनी ड्यूटी नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि अपनी सीमाओं पर सुरक्षा को चुनौती देने वालों को हमने जवाब दिया है, सीमा पर और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी। हमने एकदम स्पष्ट भाषा में जवाब दिया है, ऐसी भाषा में जो उन्हें समझ में आए। भागवत ने कहा, हमें आजाद हुए 70 साल हो गए। पहली बार दुनिया को लग रहा है कि भारत थोड़ा-थोड़ा उठ रहा है। सरकार के प्रयास से कश्मीर में देश विरोधी ताकतों की आर्थिक कमर टूट गई है। सरकार ने पुलिस और सेना को पूरी छूट दी है। पहले की सरकारों ने जम्मू और लद्दाख के साथ सौतेला व्यवहार किया, इसीलिए कश्मीर एक नासूर बन गया है।
संघ की विजयादशमी रैली में मोहन भागवत ने रोहिंग्या मुसलमानों को भारत की सुरक्षा के लिए खतरा बताया
