‘‘मकोका’ की तर्ज पर योगी सरकार लायेगी ‘‘यूपीकोका’

लखनऊ, उप्र की कानून व्यवस्था के मुद्दे पर विपक्ष के व्यंग्यबाण झेल रही सूबे की योगी सरकार अब ‘‘मकोका’ की तर्ज पर ‘‘यूपीकोका’ यानि उत्तर प्रदेश कंट्रोल आफ आर्गनाइज्ड क्राइम एक्ट कानून लाने जा रही है। प्रदेश के गृह विभाग ने इस कानून के मसौदे को आखिरी रूप दे दिया है। गृह विभाग के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि मकोका जैसे कानून यूपीकोका के मसौदे को तैयार किये जाने की पुष्टि की है। राज्य सरकार जल्द ही इस कानून का प्रस्ताव कैबिनेट की बैठक में रखेगी। कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद इस काूनन को विधानसभा के अगले सत्र में पेश किया जाएगा। विस व विप से पास होने के बाद यूपीकोका कानून को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा।
प्रदेश में कानून व्यवस्था में अपेक्षित सुधार न होते देख योगी सरकार संगठित अपराधियों और माफियाओं पर लगाम लगाने के लिए यूपीकोका जैसा सख्त कानून लाने जा रही है। सरकार का मानना है कि इस सख्त कानून के लागू होने से अपराधियों की कमर टूट जाएगी और उन्हें कानून के तहत कड़ी सजा मिलेगी। इस कानून में आसानी से जमानत न मिलने का प्रावधान किया गया है। वहीं अपराधियों और राजनेताओं के बीच गठजोड़ समाप्त हो जाएगा। याद हो कि 2007 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने भी अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए यूपीकोका कानून लाने का प्रयास कर रही थीं, लेकिन तत्कालीन केंद्र सरकार ने उन्हें ऐसे सख्त कानून लाने से बचने की सलाह दी थी। जिसके बाद यूपीकोका ठंडे बस्ते में चला गया। लेकिन मौजूदा योगी सरकार पुराने यूपीकोका में कुछ बदलाव करके नये सिरे से कैबिनेट बैठक में लाने जा रही है।
विदित हो कि मकोका (महाराष्ट्र कंट्रोल आफ आग्रेनाइज्ड क्राइम एक्ट) कानून में यह व्यवस्था है कि संगठित अपराध जैसे अंडरवल्र्ड से जुड़े अपराधी, जबरन वसूली, फिरौती के लिए अपहरण, हत्या या हत्या के प्रयास, धमकी अथवा उगाही सहित ऐसा कोई भी गैर कानूनी काम जिससे बड़े पैमाने पर पैसे बनाये जाते हैं, शामिल हैं। मकोका लगाने के लिए पुलिस को एडिशनल कमिश्नर आफ पुलिस से मंजूरी लेनी पड़ती है। इसके अलावा आरोपी के खिलाफ तभी मुकदमा दर्ज होता है जब वह 10 साल के दौरान कम से कम दो संगठित अपराधों में शामिल रहा हो। इसमें कम से कम दो लोग शामिल रहे हों और आरोपी के खिलाफ एफआईआर के बाद चार्जशीट दाखिल की गयी हो। यही नहीं इसमें पुलिस को चार्जशीट दाखिल करने के लिए 180 दिन का समय मिल जाता है, जबकि आईपीसी के प्रावधानों के तहत यह समय सीमा मात्र 60 से 90 दिन ही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *