CG- हेलिकाफ्टर खरीदी में 9 करोड़ का घोटाला,कमीशनखोरी का आरोप

बिलासपुर,पेशे से डॉक्टर और कांग्रेसी एक्टिविस्ट अजीत आनन्द डेंग्वेकर ने अगुस्ता वेस्टलैण्ड में कमीशनखोरी का आरोप लगाया है। पीसीसी अध्यक्ष भूपेश बघेल के साथ प्रेसवार्ता में डेंग्वेकर ने कहा कि अगस्ता वेस्टलैण्ड खरीदी में भारी भ्रष्टाचार हुआ है। पुराने हेलिकाफ्टर को फर्जी कम्पनी बनाकर खरीदा गया है। आज कम्पनी अस्तित्व में नहीं है। क्योंकि कम्पनी का गठन केवल हेलीकाफ्टर खरीदी के लिए हुआ था। दस्तावेजों के अनुसार जिस व्यक्ति के खाते में कमीशन गया। उसका पता ठिकाना कवर्धा के विन्ध्यवासिनी वार्ड में है।
डाक्टर डेंग्वेकर ने बताया कि अगुस्ता हेलीकाफ्टर निर्धारित कीमत से अधिक में खरीदा गया है। खरीदी में करीब डेढ़ मिलियन डालर यानी 9 करोड़ का घोटाला हुआ है। जनवरी 2008 कोलकाता में क्वेट्स हाइट लिमिटेड इंडिया कम्पनी बनी। जुलाई 2008 में मेक्वेस्ट हाइट्स लिमिटेड नाम से ब्रिटिश वर्जिन आईलैण्ड में भी एक कम्पनी बनी। सब कुछ सोची समझी रणनीति के अनुसार हुआ है। आसीआईजे से मिले दस्तावेज के अनुसार वर्जिन आईलैण्ड में अभिषाक सिंह को डायरेक्टर बताया गया हैं। जिनका पता ठिकाना वार्ड नम्बर 20 विन्ध्यवासिनी वार्ड कवर्धा है।
भूपेश बघेल के साथ डाक्टर डेंग्वुकर ने कहा कि इसी समय क्वेस्ट इंडिया का ब्रांच शार्प ओसेन हांककांग में खोली गयी। सभी कंम्पनियों को ठीक उसी समय खोला गयाज्जब अगुस्टा वेस्टलैण्ड की खरीदी हो रही थी। डेंग्वेकर ने बताया कि अगुस्ता वेस्टलैण्ड से हैलीकाफ्टर खरीदी के समय ग्लोबल टेंडर निकाला गया था। मजेदार बात है कि यह टेण्डर अपने आप में ऐतिहासिक है। क्योंकि टेण्डर में टर्म और कंडिशन के साथ स्पेसिफिक हेलीकाफ्टर को ही खरीदने की बात कही गयी है। ऐसा कभी होता ही नहीं है। ग्लोबल टेण्डर में केवल वस्तु का जिक्र होता है।
इसलिए राजनांदगांव सांसद अभिषेक सिंह की जिम्मेदारी बनती है कि कम्पनी में उनके घर का पता ठिकाना कैसे और किसने लिखाया। सिर्फ यह कहना कि मै दोषी नहीं हूं। पर्याप्त नहीं है। इसलिए उन्हें कम्पनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाना चाहिए । क्योंकि सिम कार्ड लेने के लिए भी पता ठिकाना देना होता है। कोई कैसे किसी के घर का पता ठिकाना दे सकता है। फिर भी मामले में लापरवाही की जा रही है। इससे जाहिर होता है कि दाल में जरूर काला है।

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