गुजरात में कांग्रेस के 6 विधायकों ने थामा भाजपा का दामन

अहमदाबाद, कांग्रेस विधायकों का कल से इस्तीफा देने का दौर शुरू हुआ जो आज भी जारी रहा.बुधवार को तीन विधायकों के इस्तीफे के बाद आज और तीन विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप दिया. अब तक कांग्रेस के छह विधायक इस्तीफा दे चुके हैं और यह सिलसिला आगामी समय में जारी रहने की संभावना है.
इधर,कांग्रेस में मची भारी उठापटक के डैमेज कण्ट्रोल करने कांग्रेस नेताओं का अहमदाबाद पहुंचना शुरू हो गया है। बाकि के विधायकों को किसी संभावित खरीद -फरोख्त या फिर अन्य प्रलोभन से बचाने के लिए कांग्रेस शासित राज्य कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु शिफ्ट करने की ख़बरें आ रही हैं .इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं और उससे पहले 8 अगस्त होनेवाले राज्यसभा चुनाव में ही कांग्रेस की हालत पतली हो गई है. भाजपा और शंकरसिंह वाघेला की रणनीति के आगे कांग्रेस चारों खाने चित्त होती नजर आ रही है. गुजरात की राजनीति में तेजी से बदल रहे घटनाक्रम से प्रदेश कांग्रेस समेत पार्टी हाईकमांड पर भी स्तब्ध है. एक के बाद एक विधायक कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो रहे हैं. बीते दिन विरमगाम से विधायक डॉ. तेजश्री पटेल, सिद्धपुर से विधायक बलवंतसिंह राजपूत और विजापुर से विधायक पीआई पटेल कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए. वहीं आज वांसदा से विधायक छना चौधरी, बालासिनोर से विधायक कांग्रेस विधायक मानसिंह चौहाण और ठासरा से विधायक रामसिंह परमार विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफा देने के बाद भाजपा में शामिल हो गए. सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के और 14 विधायक भाजपा में शामिल हो सकते हैं. जिसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राघवजी पटेल भी शामिल हैं. राघवजी पटेल पहले ही कांग्रेस छोड़ने की इच्छा जता चुके हैं. आखिर बीते तीन दिनों के भीतर ऐसा क्या हो गया कि कांग्रेस के विधायक एक के बाद एक इस्तीफा देने पर आमादा हो गए. कांग्रेस छोड़ने विधायक प्रदेश और केन्द्रीय नेतृत्व से काफी नाराज हैं.
कांग्रेस के गुजरात प्रभारी अशोक गहलोत डेमेज कंट्रोल के लिए गुजरात में आ गए हैं, परंतु जिस प्रकार से कांग्रेस में उठापटक जारी है, उसे देखते हुए इसे रोक पाना अब मुमकीन नहीं लगता. गुजरात के इतिहास में कांग्रेस की इस बद्दतर हालत पहली बार देखने को मिली. इसकी वजह शंकरसिंह वाघेला को नजरअंदाज करना माना जा रहा है. पिछले 20 साल से कांग्रेस में रहे वाघेला ने प्रदेश नेतृत्व से लेकर पार्टी हाईकमांड तक अपनी वेदना व्यक्त की. लेकिन कांग्रेस हाईकमांड ने वाघेला को नजरअंदाज कर दिया. आखिरकार शंकरसिंह वाघेला ने कांग्रेस से पल्ला झाड़ लिया. गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले ही राज्य में कांग्रेस की हालत दयनीय हो चुकी है, जिसे देखते हुए नहीं लगता कि साल के अंत में होनेवाले चुनाव में कांग्रेस की वापसी हो सकती है.

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