कांग्रेस विधायकों को 10 करोड़ की ऑफर की गई : रणदीप सूरजेवाला

अहमदाबाद, कांग्रेस के केन्द्रीय नेता रणदीप सूरजेवाला ने आरोप लगाया कि भाजपा के राज में लोकतंत्र की दिन दहाड़े हत्या की जा रही है| गांधी के गुजरात में भाजपा षडयंत्र रच रही है और धनबल व बाहुबल के दम पर राजनीति कर रही है| भाजपा को सत्ता लोलुप बताते हुए सूरजेवाला ने कहा कि उसने कांग्रेस विधायक को दस करोड़ रुपए की ऑफर की है| उन्होंने कहा कि भाजपा ने कांग्रेस विधायकों को चुनाव में टिकट देने के साथ ही चुनावी खर्च वहन करने की भी लालच दी है|
रणदीप सूरजेवाला ने कहा कि आजादी के बाद मौजूदा भाजपा शासन में भारतीय प्रजातंत्र सबसे खतरनाक दौर से गुजर रहा है। आयाराम-गयाराम, तोड़फोड़, हेरफेर और जनमत की लूट भाजपा का ‘चाल, चेहरा और चरित्र’ बन गए हैं। प्रजातंत्र की दिनदहाड़े हत्या और लोकतंत्र की नीलामी आम बात हो गई हैं। और जनता के जनमत को लूटना सत्ता के अहंकार की एक नई पहचान। बलपूर्वक-छलपूर्वक हर हाल में जनमत का हरण कर वो बस अपनी जीत तय कर रहे हैं। लक्ष्य मात्र एक है – ‘सत्ता का मनमर्जी से इस्तेमाल, चाहे प्रजातंत्र हो जाए बेहाल’। दुर्भाग्य यह है कि पाखंडियों और सत्ता के व्यापारियों द्वारा प्रजातंत्र की हत्या और लोकतंत्र की नीलामी का घिनौना षडयंत्र महात्मा गांधी की भूमि गुजरात में किया जा रहा है। 8 अगस्त को गुजरात में राज्यसभा की 3 सीटों के लिए चुनाव है, जिसमें स्वयं भाजपा अध्यक्ष, अमित शाह व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी भाजपा के उम्मीदवार हैं। भाजपा के पास जनमत भी दो सीट जीतने का है। ‘धनबल-बाहुबल-सत्ताबल’ का एक घिनौना राजनैतिक षडयंत्र गांधी की भूमि पर खेला जा रहा है और वो भी जब 9 अगस्त को पूरा देश महात्मा गांधी के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की 75 वीं वर्षगांठ मनाएगा। सत्ता की भूख ने सत्ता के हुक्मरानों को इस कदर अंधा कर डाला है कि कांग्रेस के विधायकों को करोड़ों रुपये की रिश्वत व चुनाव की टिकटों का प्रलोभन दिया जा रहा है। धनबल और सत्ताबल का इस्तेमाल कर विधायकों को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मिलवाने की, निष्ठा परिवर्तन की व दलबदल की कवायद की जा रही है। यह संविधान की हर परिपाटी, चुनाव की निष्पक्षता और प्रजातांत्रिक मूल्यों को धूमिल करने का एक घिनौना प्रयास है। वो भी तब जब अमित शाह राज्यसभा में चुने जाने के स्वयं उम्मीदवार हैं।
सूरजेवाला सवाल किया कि क्या यह सीधे सीधे चुनाव की मर्यादाओं व कानून का उल्लंघन नहीं? क्या यह ‘जन प्रतिनिधि कानून’ की धज्जियां नहीं उड़ाता? क्या यह ‘Corrupt Practices’ की परिभाषा में नहीं आता? क्या सरकारी अधिकारियों, एजेंसी व सत्ताबल का दुरुपयोग चुनाव के नतीजे को प्रभावित करने के लिए इस्तेमाल करना कानूनी अपराध नहीं? क्या निष्पक्ष और निर्भीक चुनाव के मापदंडों का सरेआम हनन नहीं किया जा रहा? यह हमारे साथी विधायकों के बयान से स्पष्ट हो रहा है। पुन्नाभाई गामीत, जो अनुसूचित जनजाति क्षेत्र से तीसरी बार चुनकर आए हैं, को जबरन रोकने व 10 करोड़ रु. की रिश्वत देने का प्रयास किया गया। इसी प्रकार से धनबल, बाहुबल व सत्ताबल का दुरुपयोग मंगलभाई गावित तथा ईश्वर भाई पटेल के साथ किया गया, ताकि वह पैसे और सत्ता के प्रलोभन में आकर कांग्रेस पार्टी में अपनी निष्ठा तथा विश्वास बदलें। यह इन विधायकों की बहादुरी व ईमानदारी का प्रमाण है, कि षडयंत्रकारी उनके ईमान को रत्तीभर भी नहीं हिला पाए। हम मांग करते हैं कि भारतीय चुनाव आयोग इस पूरे मामले का संज्ञान ले, उचित कानूनी कार्यवाही करे तथा अपराधिक मुकदमा दर्ज करे। हम यह भी मांग करते हैं कि अमित शाह व विजय रूपानी गुजरात और देश की जनता को जवाब दें।’’

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