बिहार में कितना बदलेगा उपराष्ट्रपति चुनाव में वोटों का गणित?

‎नई दिल्ली,बिहार में सत्ता का समीकरण बदल गया है और इसका असर अब उपराष्ट्रपति पर भी चुनाव को मिलेगा। ये कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि नीतीश कुमार ने कांग्रेस की अगुवाई वाले विपक्षी दलों के उम्मीदवार गोपालकृष्ण गांधी का समर्थन किया था। अब उनके बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए में चले जाने से सवाल उठ रहे हैं कि क्या नीतीश अब भी गोपाल कृष्ण गांधी का समर्थन करेंगे। महात्मा गांधी के पौत्र गोपाल कृष्ण गांधी के साथ नीतीश कुमार के मधुर संबंध रहे हैं। महागठबंधन का हिस्सा होते हुए नीतीश कुमार ने चंपारण आंदोलन के 100 पूरे होने के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में गोपाल कृष्ण गांधी को बुलाया था। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस की अगुवाई वाले विपक्ष से गोपाल कृष्ण गांधी को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने की बात कही थी। हालांकि ऐसा नहीं हो सका। बाद में जब गोपाल कृष्ण गांधी को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया तो जेडीयू ने समर्थन की घोषणा की। गौरतलब हि ‎कि उपराष्ट्रपति चुनाव में सिर्फ लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य ही वोट करते हैं।
भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए के पास लोकसभा में 340 और राज्यसभा में 85 सांसद हैं और अब नीतीश की पार्टी भी एनडीए का हिस्सा है। लोकसभा में नीतीश के पास 2 सांसद और राज्यसभा में 10 सांसद हैं।दूसरी ओर कांग्रेस की अगुवाई वाले विपक्ष में दर्जन भर से ज्यादा पार्टियां हैं। हालांकि लोकसभा में इनकी उपस्थिति बहुत कमजोर है, जबकि राज्यसभा में इनकी स्थिति लोकसभा के मुकाबले काफी अच्छी है। देखना ये होगा कि विपक्षी दल कितना आंकड़ा जुटा पाते हैं। मौजूदा उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का कार्यकाल 10 अगस्त को पूरा हो रहा है। 5 अगस्त को वोटिंग होगी और इसी दिन शाम को वोटों की गिनती होगी। अंसारी को 2012 के उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार जसवंत सिंह के मुकाबले 490 वोट मिले थे। जसवंत सिंह को 238 वोट मिले। एस. राधाकृष्णन (1952 और 1957), मोहम्मद हिदायतुल्ला (1979) और शंकर दयाल शर्मा (1987) उपराष्ट्रपति पद के लिए निर्विरोध चुने गए थे।

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