इंदौर,अगर आपको 16 साल तक रोटी खाने को न मिले तो? यह सवाल सुनते ही आप सिहर जाएंगे, लेकिन यह सच घटना है। इंदौर में ऐसा मामला सामने आया है। यहां पर न्यूरोफाइब्रोमेटोसिस से पीडि़त बिहार के नवादा गांव के मिथुन चौहान (18) के जीवन पर एक डॉक्युमेंट्री बनाई गई है। यह देश दर्शकों के रोंगटे खड़े हो गए। मिथुन ने दर्शकों के सवालों के जवाब भी दिए। मिथुन 16 साल तक सिर्फ पानी, दाल और तरल पदार्थ पर जी रहा था। भूख लगती, फिर भी खाने के लिए मुंह नहीं खोल पाता। आखिर इंदौर के डॉक्टर ने उसकी सर्जरी की। सर्जरी के बाद सबसे पहले उसने रोटी खाई। जब इंदौर में उसकी कहानी पर्दे पर दिखाई गई तो दर्शक भी हैरान रह गए। तीन साल की उम्र में उसके चेहरे में फुंसियां नजर आने लगी थीं। उम्र बढऩे के साथ वे फोड़े में बदल गईं। इनसे चेहरा और पूरा शरीर वीभत्स नजर आने लगा। गरीब माता-पिता इलाज नहीं करवा सके। आखिर चेन्नाई के पत्रकार संजय पांडे ने बच्चे की कहानी एक अंग्रेजी अखबार में द बबल व्रेप बॉय के नाम से प्रकाशित की। इसके बाद देशभर से मदद के लिए हाथ उठे और इंदौर के प्लास्टिक सर्जन डॉ.अश्विनी दाश ने इलाज का जिम्मा उठाया। जनवरी से अब तक उसकी दो बार सर्जरी हुई। जटिल सर्जरी के बाद फिलहाल मिथुन की हालत ठीक है। सर्जरी टीम में डॉ.अंजलि दाश, डॉ. गिरीश वर्मा, डॉ.आवेग भंडारी, डॉ. सुधीर अग्निहोत्री शामिल थे।