सेना को हाई-टेक बैलेस्टिक हेलमेट की पहली खेप मिली

नई दिल्ली,भारतीय सेना को 75000 हाई-टेक बैलेस्टिक हेलमेट की पहली खेप मिल गई है। ये हेलमेट अब तक इस्तेमाल किए जा रहे हेलमेटों की तुलना में ज्यादा सुरक्षित होंगे। इस पर गोलियों की बौछार या फिर किसी भी नुकीली वस्तु के प्रहार का असर नहीं होगा। अब तक इस्तेमाल किए जाने वाले हेलमेट गोलियों की सीधी बौछार के आगे बेकार साबित होते थे। कुछ बैलेस्टिक हेलमेटों में संचार उपकरण भी लगाए गए हैं। सेना सूत्रों के अनुसार इन हेलमेटों को जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में उग्रवाद का सामना करने वाले सैनिकों के अलावा चीन और पाकिस्तान की सीमा पर मोर्चा लेने वाले सैनिकों को दिया जाएगा।
भारत को आपूर्ति किए जाने वाले बैलेस्टिक हेलमेट दो प्रकार के हैं। पहले प्रकार के हेलमेट में केवल सिर की सुरक्षा को ही ध्यान रखा गया है। क्योंकि प्राय: युद्ध की स्थिति में सिर को ही मुख्यरुप से निशाना बनाया जाता है। इस लिए इन हेलमेटों को इतना मजबूत बनाया गया हैकि यदि दस मीटर की दूरी से 9एमएम की गोली सीधे सर पर मारी जाए, तो भी इसे पहनने वाले सैनिक को कोई क्षति नहीं होगी। युद्धभूमि में सैनिकों को केवल गोलियों से ही खतरा नहीं होता, उनके आसपास होने वाले विस्फोटों से निकले धातु के टुकड़े भी उनके लिए जानलेवा साबित होते हैं। यह हेलमेट इससे भी सैनिकों की रक्षा करता है। दूसरी प्रकार के हेलमेट को कमांडर हेलमेट भी कहते हैं। इस हेलमेट में संचार उपकरण लगे होते हैं। इसे जरूरत पड़ने पर एक रेडियो उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
सेना चाहती है कि हेलमेट से सैनिकों के सिर को सुरक्षा मिलने के साथ ही उन्हें अभियान वाले स्थान की जानकारी भी मिले। इसके लिए सेना हेलमेट में कम्युनिकेशन डिवाइस, नाइट विजन डिवाइस और मैप दिखाने के लिए डिस्प्ले भी चाहती है। सूत्रों ने बताया कि 7,500 बैलेस्टिक हेलमेट की पहली खेप की आपूर्ति भारतीय डिफेंस कंपनी, एमकेयू ने की है। यह संयुक्त राष्ट्र और नाटो को सैन्य उपकरण बेचती है। इसमें से 2,500 हेलमेट संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशनों में तैनात भारतीय सैनिकों को पहले ही दिए जा चुके हैं। बाकी 5,000 हेलमेट भी जल्द ही सैनिकों को उपलब्ध करा दिए जाएंगे। इसके अलावा डीआरडीओ की चंडीगढ़ में मौजूद टर्मिनल बैलिस्टिक्स रिसर्च लैबोरेटरी (टीआरबीएल) में 6,000 और हेलमेट का परीक्षण किया जा रहा है। टीआरबीएल सैन्य हथियारों के असर का आकलन करती है।
एमकेयू को सरकार से 1.58 लाख बैलेस्टिक हेलमेट खरीदने का अनुबंध मिला है। केंद्र सरकार ने इनको मिलाकर कुल 3.28 लाख बैलेस्टिक हेलमेट खरीदने की मंजूरी दी है। प्रतिरक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हेलमेट जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद विरोधी और पूर्वोत्तर में उग्रवाद विरोधी अभियानों में तैनात सेना की बटालियनों के साथ ही चीन और पाकिस्तान के साथ लगती सीमा पर तैनात सैनिकों को दिए जाएंगे। इसके अलावा लगभग 14,000 हेलमेट नौसेना को दिए जाएंगे। बैलेस्टिक हेलमेट सैनिकों की ओर से इस्तेमाल किए जा रहे पुराने हेलमेट के मुकाबले बेहतर हैं। अभी इस्तेमाल किए जा रहे हेलमेट से सैनिकों को केवल स्प्लिंटर, चट्टानों और सीधे न लगने वाली गोली से सुरक्षा मिलती है। अगर पुराने हेलमेट पर गोली सीधे लगती है, तो इसमें सैनिक का बचना मुश्किल होता है। बैलेस्टिक हेलमेट से सैनिकों को गोली से पूरी तरह सुरक्षा मिलेगी।

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