मुंबई, बीसीसीआई प्रशासनिक समिति (सीओए) ने सीएसी सदस्यों सचिन, सौरभ और लक्ष्मण पर अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर द्रविड़ और जहीर खान की नियुक्ति करने पर सवाल उठाये हैं। टीम इंडिया के कोच रवि शास्त्री बने हैं। वहीं, बोलिंग कोच के तौर पर जहीर खान और विदेशी दौरों पर टीम के साथ बल्लेबाजी सलाहकार के रूप में राहुल द्रविड़ की भी नियुक्ति की गई। सीओए की तरफ से कोच के रूप में शास्त्री की नियुक्ति का स्वागत किया गया। वहीं, जहीर और द्रविड़ की नियुक्ति पर सीओए का मानना है कि यह सीएसी ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर किया है। सहयोग स्टाफ की नियुक्ति आम तौर पर हेड कोच का अधिकार होती है। इस लिहाज से सलाहकार कमिटी ने शास्त्री की भूमिका को कम किया है। सीओए के एक सदस्य ने कहा , ‘जहीर और द्रविड़ की नियुक्ति पर सीओए शनिवार को होने वाली बैठक में विचार करेगा। शनिवार को मुंबई में विनोद राय, विक्रम लिमये और डिएना एडुलजी बैठक करने वाले हैं।’ सीओए का यह फैसला रवि शास्त्री के पिछले साल दिए बयान को लेकर महत्वपूर्ण है।
बता दें कि पिछले साल शास्त्री ने बोर्ड के सामने प्रस्ताव रखा था कि अगर उन्हें हेड कोच का पद मिलता है तो वह अपने 6 सपॉर्ट स्टाफ को भी टीम के साथ जोड़ना चाहेंगे। इनमें बैटिंग कोच के तौर पर संजय बांगड़, बोलिंग कोच भरत अरुण, फील्डिंग कोच आर श्रीधर, फिजियॉलजिस्ट प्रतीक फरहत, ट्रेनर शंकर बसु और टीम असिस्टेंट रघु हैं। शास्त्री ने इसके पीछे तर्क दिया था कि टीम इस सपॉर्ट स्टाफ के साथ बहुत अच्छी तरह से घुलमिल गई है। इनके साथ 2015 विश्व कप में टीम इंडिया सेमीफाइनल में और टेस्ट में नंबर वन टेस्ट टीम बनी थी।
यह भी कहा जा रहा है कि सीएसी के सामने शास्त्री ने बोलिंग कोच के तौर पर भरत अरुण का ही नाम लिया था। वहीं दूसरी तरफ , सीएसी सदस्य सौरभ गांगुली से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘इस सवाल का जवाब मैं क्यों दूं? आपको यह सवाल बीसीसीआई और सीओए से ही पूछना चाहिए।’ जहां तक सीएसी का सवाल है तो शास्त्री को इस फैसले से पहले जानकारी दी गई थी और उनकी सहमति भी थी। दूसरी तरफ सीओए का तर्क है कि शास्त्री को सपॉर्ट स्टाफ चुनने के लिए फ्री हैंड मिलना चाहिए जैसा कि पूर्ववर्ती कोचों को भी मिला है।
COA ने द्रविड़ और जहीर की नियुक्ति पर सवाल उठाये
