पनामा गेट मामले में शरीफ के खिलाफ मामला दर्ज करने की सिफारिश

 

इस्लामाबाद,पनामा गेट मामले में जांच समिति ने पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज करने की सिफारिश की है। छह सदस्यीय संयुक्त जांच दल ने शरीफ परिवार के व्यापारिक लेनदेन की जांच करने के बाद अपनी रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंप दी है। जांच समिति ने सिफारिश की है कि प्रधानमंत्री शरीफ और उनके पुत्र हसन नवाज तथा हुसैन नवाज के साथ-साथ उनकी बेटी मरियम नवाज के खिलाफ राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) अध्यादेश, 1999 के तहत भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया जाना चाहिए। इसके बाद यदि नवाज शरीफ की कुर्सी हिलती है, तो इसका प्रभाव भारत पर भी पड़ना तय है। पाकिस्तान की सर्वोच्च अदालत यदि इस रिपोर्ट को लागू करने का फैसला करती है, तो अगले सप्ताह तक शरीफ को या तो पद से हटना पड़ेगा या फिर उन्हें पूरी तरह निष्प्रभावी कर दिया जाएगा।
ऐसी स्थिति में आने वाले हफ्तों या महीनों में इसका असर भारत पर भी पड़ेगा, विशेषकर सुरक्षा के मामले में। सत्ता में परिवर्तन का मतलब है कि इस्लामाबाद में नए लोग आएंगे ,जिनकी प्राथमिकताएं भी बिल्कुल अलग होंगी। गवर्नेंस और विदेशी नीति से जुड़ी जिम्मेदारियां रावलपिंडी में सेना के हवाले हो जाएंगी। सेना को गवर्नेंस में आगे लाना स्पष्ट रूप से घातक होगा। शरीफ अब भी आवाम में लोकप्रिय हैं। यदि सेना की अगुआई में उन्हें हटाया जाता है, तो इससे उनकी लोकप्रियता ही बढ़ेगी। अशफाक कियानी से लेकर कमर बाजवा तक नागरिक सरकार को हटाने के अनिच्छुक दिखे हैं, भले ही वह देश को पर्दे के पीछे से चला रहे हों। इस जांच का नतीजा और इसके बाद पैदा होने वाली राजनीतिक अस्थिरता भारत को प्रभावित कर सकती है। पाकिस्तान सरकार जब भी घरेलू मोर्चे पर घिरती दिखाई देती है, भारत और कश्मीर के विरुद्ध कार्रवाई तेज कर लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश करती है।
अमरनाथ यात्रियों पर हमला कर पाक आतंकियों ने संदेश दिया है कि जम्मू-कश्मीर तक पहुंचना उनके लिए कठिन नहीं है। अमरनाथ यात्रियों पर हमला उनकी रणनीति का हिस्सा हो सकता है, ताकि नागरिक सरकार को बनाए रखने के अंतर्राष्ट्रीय जबाव से बचा जा सके। नई दिल्ली में सत्ता के गलियारे में ऐसी ही चर्चाएं हैं। यहां भी शरीफ के बाद संभावित परिस्थितियों पर बात हो रही है। आम चुनाव में सिर्फ कुछ महीने का समय बचा है। यदि सेना लोकतांत्रिक मुखौटे को सुरक्षित रखना चाहती है, तो शरीफ सरकार को तब तक बने रहने दे सकती है। एक दूसरा यह भी विकल्प हो सकता है कि शरीफ के छोटे भाई शाहबाज को आगे किया जाए।

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