जबलपुर,पेड न्यूज़ मामले में चुनाव आयोग द्वारा चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहराए गए मंत्री नरोत्तम मिश्रा के प्रकरण में पूर्व विधायक राजेंद्र भारती की ओर से बताया गया की उनकी ओर से इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई है लिहाज़ा इस मामले की सुनवाई को टाला जाना चाहिए। इसके बाद हाई कोर्ट ने दो हफ्ते का समय दिया है। अब इस प्रकरण से जुड़े दोनों मसलों पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का इन्तजार करना पड़ेगा। आज वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा भी हाई कोर्ट पहुंचे थे। उन्होंने इस मामले में भारती की ओर से पैरवी की।
जैसा कि पता है मुख्य न्यायाधिपति हेमंत गुप्ता एवं न्यायाधिपति विजयकुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष नरोत्तम मिश्रा की पिटीशन मंगलवार को सुनवाई हेतु नियत थी। इसी पिटीशन के साथ वह जनहित याचिका भी क्लब कर ली गई थी, जिसमें यह मांग की गई थी कि चुनाव आयोग के फैसले के बाद राज्यपाल को उन्हें विधानसभा की सदस्यता से हटा दिया जाना चाहिए था। आज इन दोनों याचिकाओं पर संयुक्त रुप से सुनवाई शुरु हुई। सुनवाई में राजेन्द्र भारतीय की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तंखा उपस्थित हुए। उन्होंने युगलपीठ को बताया कि एक ट्रांसफर पिटीशन सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक इन याचिकाओं पर सुनवाई न की जाए। जिसके बाद युगलपीठ ने नरोत्तम मिश्रा की पिटीशन एवं पत्रकार सुरेन्द्र दुबे की जनहित याचिका पर सुनवाई दो सप्ताह के लिये स्थगित कर दी है।
गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने भाजपा के नेता एवं मंत्री नरोत्तम मिश्रा को अयोग्य करार दिया था जिसके खिलाफ श्री मिश्रा ने हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ के समक्ष आयोग के आदेश पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका दायर की थी। वहां अधिवक्ताओं की हड़ताल की वजह से श्री मिश्रा की पिटीशन मुख्य खंडपीठ के समक्ष हस्तांतरित कर दी गई थी। इधर पत्रकार सुरेन्द्र दुबे ने एक जनहित याचिका पेश की थी, जिसमें कहा गया था कि चुनाव आयोग द्वारा नरोत्तम मिश्रा को अयोग्य करार दिया गया है, बावजूद इसके राजनैतिक दबाव में प्रदेश के राज्यपाल श्री मिश्रा को विधानसभा की सदस्यता से विमुक्त नहीं कर रहे हैं और न ही सरकार उनका मंत्री पद वापस ले रही है। राज्यपाल और सरकार का रवैये गैर संवैधानिक हैं। हाईकोर्ट से मांग की थी कि इस मामले में उचित आदेश दे।